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अम्लपित्त खट्टी डकार क्या है इसके लक्षण कारण व उपचार

अम्लपित्त खट्टी डकार क्या है इसके लक्षण कारण व उपचार

आजकल के बदलते खान-पान के कारण हमारे शरीर में कई छोटी और बड़ी समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं जिनके ऊपर हम इतना ध्यान नहीं देते लेकिन आगे चलकर यह सभी समस्याएं एक बड़ी बीमारी का रूप ले लेती है और यह हमारे लिए घातक साबित होती है क्योंकि जब कोई समस्या उत्पन्न होती है तब उसको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है

लेकिन अगर उसके ऊपर ज्यादा दिन तक ध्यान नहीं दिया जाए तो वह धीरे-धीरे दूसरी बीमारियों को भी उत्पन्न करने लगती है इसी तरह से खट्टी डकार आना भी एक ऐसी समस्या है जो कि आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही हमारे शरीर में कई और समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती है तो आज के इस ब्लॉग में हमें इसी समस्या के बारे में विस्तार से जानेंगे इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की खट्टी डकार आने का क्या कारण होता है इसके लक्षण और उपचार आदि.

खट्टी डकार आना

वैसे तो किसी इंसान को खट्टी डकार आना कोई आम समस्या नहीं है बल्कि यह एक बीमारी होती है जिसको हाइपर एसिडिटी (Hyper Acidity) तथा एसिड डिस्पेरिसया (Acid Dyspepsia) और गैस्ट्रोक्सिया (Gastroxia)के नाम से भी जाना जाता है लेकिन साधारण भाषा में इसको अमलपीत, खट्टी डकार आना, अमाशय की अम्लता व छाती में जलन आदि के नाम से जाना जाता है और यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब हमारे शरीर में ज्यादा मसालेदार व तले हुए भोजन का सेवन करने से अमल की मात्रा बढ़ जाती है.

तब उसको अमलपित कहा जाता है इसके अलावा इस समस्या के उत्पन्न होने के पीछे हमारे आमाशय में भोजन का सही से पचन न होना भी होता है क्योंकि जब हम भोजन करते हैं और हमारा आमाशय ठीक से भोजन को पचा नहीं पाता तब अमाशय एकदम उत्तेजित हो जाता है जिससे आमाशय में मौजूद हाइड्रोक्लोरिक अमल का निर्माण ज्यादा होने लगता है और हमें बार-बार खट्टी डकार हैं वह मुंह में पानी आने लगता है और जब यह समस्या उत्पन्न होती है तब इसका तुरंत इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह रोग कई और दूसरे रोगो को भी जन्म दे सकता है

खट्टी डकार आने के कारण

जब किसी इंसान में खट्टी डकार आने की समस्या होती है तब इसके पीछे कई कारण होते हैं जैसे ज्यादा मानसिक तनाव, खाने पीने में अधिक मिर्च मसालेदार व तले हुए भोजन का सेवन करना, ज्यादा चटपटे भोजन का सेवन करना, खाना खाने के बाद सो जाना, बिना भूख लगे खाना, भोजन सही समय पर ना करना, ज्यादा धूम्रपान व शराब का सेवन करना, ज्यादा तंबाकू, पान, खैनी, गुटखा आदि का सेवन करना, कब्ज की समस्या उत्पन्न होना, शरीर में कार्बोहाइड्रेट का ठीक से पाचन न होना, ज्यादा मांस, मछली, अंडे का सेवन करना, ज्यादा चाय,कॉफी का सेवन करना, भोजन चबाकर ने खाना, ज्यादा खट्टे पदार्थ जैसे आम, इमली अचार,संतरा, अंगूर का सेवन करना यह कुछ ऐसे कारण होते हैं जिनसे किसी भी इंसान में यह समस्या आसानी से उत्पन्न हो सकती है

खट्टी डकार आने के लक्षण

वैसे तो इस समस्या के लक्षणों के बारे में बताने की ज्यादा जरूरत नहीं है क्योंकि जब यह समस्या उत्पन्न होती है तो सबसे पहले रोगी के मुंह में खट्टा पानी में खट्टी डकार आने लगती है लेकिन इसके अलावा भी इस रोग के बहुत सारे और भी लक्षण होते हैं जैसे शरीर में भारीपन, रुचि, थकावट, आलस व कमजोरी, शरीर के अंगों की शक्ति का हर्ष, सिर में दर्द रहना, छाती में जलन होना, बार-बार पानी पीने का मन करना, भोजन के तुरंत बाद खट्टी डकार आना, दर्द व मरोड़े लगना, आंखों में जलन होना, मूत्र लाल व पीले रंग का आना, भूख कम लगना, पैरों में दर्द रहना, चक्कर आना, आंखों के सामने अंधेरा छाना, कब की शिकायत उत्पन्न होना, शरीर में अमल की मात्रा बढ़ने पर फोड़े फुंसी में एलर्जी होना, रोगी के जोड़ों में दर्द होना, नींद कम आना, सुबह के समय खट्टी डकार व मुंह में खट्टा पानी आना, रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा व क्रोधी होना, उल्टी करना ऐसे बहुत सारे काम लक्षण हैं जो कि इस रोग में दिखाई देते हैं

क्या खाना चाहिए

  • रोगी को हमेशा हल्का व सुपाच्य भोजन खाना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जी जैसे लौकी तोरई भिंडी गाजर और टिंडा आदि का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को केला अनार नाशपाती जैसे फल खाने चाहिए
  • रोगी को दलिया दाल व पुराने चावलों का सेवन करना चाहिए

क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा तले हुए व मिर्च मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा खट्टे फल खटाई युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को चाय कॉफी और ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा कठोर वह भी मौसमी भोजन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा दही लस्सी व घी का सेवन नहीं करना चाहिए

क्या-क्या करना चाहिए

  • रोगी को सुबह-सुबह हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए
  • रोगी को हर रोज सुबह सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए
  • रोगी को सुबह-सुबह ठंडे पानी का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को समय पर सोना चाहिए वह सुबह जल्दी उठना चाहिए
  • रोगी को भोजन करने के बाद थोड़ी देर इधर-उधर घूमना चाहिए
  • रोगी को सोने से लगभग 2 घंटे पहले खाना खाना चाहिए रात के समय में
  • रोगी को हल्का भोजन करना चाहिए
  • रोगी को खाना खाने के बाद और चीजें खाने से बचना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को सुबह सुबह खाली पेट मिठाई व तली हुई भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को एक जगह बैठे बैठे खाना खाकर नहीं सोना चाहिए
  • रोगी को भूख से ज्यादा व बिना टाइम खाना नहीं खाना चाहिए
  • रोगी को पूरा दिन एक जगह पर बैठे व लेटे नहीं रहना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा गर्म व ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को शादी व होटल के खाने से बचना चाहिए

खट्टी डकार के घरेलू आयुर्वेदिक  उपाय

अगर फिर भी आपको खट्टी डकार आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए वह अपने टेस्ट आदि करवा कर दवाई लेनी चाहिए या आप कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों व औषधियों का भी इस्तेमाल करके इस समस्या से पीछा छुड़वा सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल करें .

• पुराना गुड़, छोटी पीपल और हरड़ (प्रत्येक को समान मात्रा में) लेकर गोली बनाकर सेवन करने से पित्त नष्ट होकर कफ का नाश तथा अग्निदीप्त हो जाती है।

• ईसबगोल की भूसी और अविपत्तिकर चूर्ण (प्रत्येक 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर मिलाकर) तथा 100 ग्रमा इसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर सुरक्षित रख लें। (दवा खाने के पात्र में हवा प्रविष्ट होने पाये इसका ख्याल रखें।) इस चूर्ण को भोजन से 5 मिनट पहले 5 ग्राम (1 चम्मच) की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से पाचकाग्नि की विकृति मिटकर पाचनतन्त्र शक्तिशाली हो जाता है।

• करेले के पत्तों अथवा पुष्पों (फूलों) को गाय के घी में भूनकर उसका चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 1-2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2-3 बार सेवन करने से अम्लपित्त में लाभ होता है।.

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