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जानवरों के काटने से क्यों होता है रेबीज और क्या हैं इसके लक्षण और बचाव

जानवरों के काटने से क्यों होता है रेबीज और क्या हैं इसके लक्षण और बचाव

रेबीज़ एक ऐसा रोग है जो किसी जानवर के काटने से होता है और यह रेबीज़ एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को हो सकती है और यह एक जानलेवा रोग है क्योकि यह एक ऐसा रोग जिसके लिए बचपन में टिका लगता है और यदि कोई जानवर काट ले तो उसके 75 घंटे तक यदि टिका लगवाया जाये

तो इस बीमारी का इलाज है लेकिन यदि बाद में लगवाने का कोई फायदा नही है क्योकि यदि एक बार यदि बीमारी हो जाये तो बाद में इसको नही रोका जा सकता है और रोगी की जान चली जाती है

और यह बीमारी सबसे ज्यादा 15 साल के बच्चो में होता है और बहुत से लोग कहते है की यह बीमारी कुते के काटने से होता है लेकिन ऐसा नही है कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस शरीर के अन्दर पंहुच जाते है और यह बीमारी हो सकती है और इस बीमारी के लक्षण कई दिन में दिखाई देते है

और इस बीमारी से लोगो को जागरूक करने के लिए सितंबर 28 को जीएआरसी द्वारा विश्व रेबीज़ दिवस बनाया गया है इसका मुख्य कारण दुनिया भर में हर साल 50 000 लोग रेबीज के कारण मरते हैं

उनमें से 90 प्रतिशत की मृत्यु रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से होती है इसलिए इस बीमारी से बचके रहना चाहिए आज हम यंहा आपको बतायेंगे की रेबीज़ क्यों होता है इसके क्या क्या लक्षण और कारण है |

रेबीज़ के प्रकार – Types of Rabies in Hindi

रेबीज़ दो प्रकार की होती है उग्र रेबीज, पैरालिटिक रेबीज और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रेबीज के 30 प्रतिशत मामले में पैरालिटिक रेबीज होता है जो बहुत ज्यादा खतरनाक होता है |

रेबीज़ के लक्षण – Rabies Symptoms in Hindi

रेबीज़ के शुरुआत में ऐसे ज्यादा लक्षण दिखाई नही देते है और समान्य फ्लू के लक्षण दिखाई देते है |

  1. रेबीज़ होने पर निगलने में बहुत कठिनाई होती है गला रुक जाता है |
  2. मतली बहुत आती है |
  3. सरदर्द रहने लगता है |
  4. उल्टी बार बार आती है |
  5. आंशिक अपंग या पक्षाघात होने लगता है |
  6. अनिद्रा हो जाती है |
  7. उलझन बहुत ज्यादा होती है |
  8. पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) लगने लगता है |
  9. चिंता होने लगती है
  10. व्याकुलता व अशांति महसूस होता है |
  11. बुखार रहने लगती है |
  12. अति सक्रियता हो जाती है
  13. अत्यधिक लार आने लगती है |

रेबीज़ के कारण – Rabies Causes in Hindi

रेबीज़ का मुख्य कारण रेबीज वायरस होता है जब यह वायरस किसी इन्सान के शरीर में चला जाये तो यह बीमारी हो  है संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या किसी व्यक्ति को काटकर वायरस फैला देते है

जब किसी जानवर किस लार किसी भी तरीके से किसी व्यक्ति के खून चली जाये तो यह बीमारी हो सकती है और सबसे ज्यादा यह बीमारी स्तनपायी जानवर  से लगती है ऐसे बहुत से जानवर होते है जैसे:-

पालतू जानवर और खेत के जानवरों:-

  • बकरी
  • घोड़े
  • कुत्ते
  • एक प्रकार का नेवला
  • गायों
  • बिल्ली

जंगली जानवर:-

  • चमगादड़
  • ऊद
  • लोमड़ी
  • बंदर
  • जंगली नेवले
  • एक प्रकार की गिलहरी

ये ऐसे जानवर है जिनके काटने से यह बीमारी होती है लेकिन ऐसे यदि इनकी लार हाथ पर गिर जाये या कंही भी लग जाये तो बीमारी नही होती है जब तक लार खून में न मिले तब तक रेबीज़ नही होता है |

रेबीज़ से बचाव – Prevention of Rabies in Hindi

रेबीज़ एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज होने से पहले किया जा सकता है यदि कुछ बचाव करने है तो पहले कर सकते है बाद में बचने के चांस बहुत कम होते है इसलिए कुछ बचाव करके इस बीमारी से दूर रहा जा सकते है जैसेः-

  • अपने आस पास के जंगली जानवरों के संपर्क के सम्पर्क में कम आये|
  • अपने पालतू जानवरों को बहार के जानवरों के सम्पर्क में कम आने दे|
  • आवारा जानवरों की जानवरों के नियंत्रण-विभाग में रिपोर्ट करें।
  • विकासशील देशों की यात्रा करने, जानवरों के साथ मिलकर काम करने या रेबीज वायरस से सम्बंधित प्रयोगशाला में काम करने से पहले रेबीज टीकाकरण जरुर करवाए
  • आप रेबीज का टीका जरुर लगवाए
  • अपने घर व उसके आसपास कुत्ते, बन्दर व चमगादड़ दिखें जो ज्यादा खतरनाक है उसकी  जानवरों के नियंत्रण-विभाग में रिपोर्ट करें।
  • अपने घर के पालतू जानवरों को टीका लगवाएं|

रेबीज़ का इलाज – Rabies Treatment in Hindi

रेबीज़ होने के बाद इसका इलाज तो मुश्किल है लेकिन कुछ उपचार तो किया जा सकता है और डॉक्टर कुछ इलाज करते है लेकिन पहले कुछ इलाज किया जा सकता है यदि कोई जानवर काट ले तो उसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए जैसे:-

यदि पोस्ट-एक्सपोज़र प्रॉफीलैक्सिस (पीईपी; Post-exposure prophylaxis) रेबीज एक्सपोजर के बाद शिकार बने व्यक्ति के लिए तत्काल उपचार है

जल्दी से घावों की धुलाई करें, स्थानीय उपचार करें व उस जानवर के बारे में पता लगाएं और पता करे की उस जानवर को किसी प्रकार की बीमारी तो ना है और अच्छी क्वालिटी का          “रेबीज का टीका या वैक्सीन का पूरा कोर्स ले और  “रेबीज इम्यूनोग्लोब्युलिन” भी ले

पोस्ट एक्सपोजर रेबीज वैक्सीन या टिके कैसे लगवाए 

  • जिन्हे पहले से वैक्सीन नहीं लगी है उन्हें 0, 3, 7, 14 और 28वें दिन मांशपेशियों में रेबीज का टीका  लगवाना चाहिए |
  • रेबीज प्रतिरक्षा ग्लोब्युलिन पहली खुराक के साथ दिया जाना चाहिए |
  • यदि पहले टिका लगा हुआ है और कोई जानवर काट ले तो  वैक्सीन या टीके की दो खुराक मिलाकर लेनी चाहिए एक से तीन दिन के बीच में ही लेनी चाहिए |

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