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सूरदास का जीवन परिचय सूरदास जी कौन थे

सूरदास जी कौन थे सूरदास का जीवन परिचय

आप सभी को पता हो कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर सबसे ज्यादा देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है और सबसे ज्यादा लोग भगवान के ऊपर विश्वास रखते हैं भारतीय लोगों का मानना है कि अगर सच्चे मन से भगवान से मांगा जाए तो भगवान हमेशा अपने भक्तों को कुछ ना कुछ जरूर देते हैं इसीलिए हमारे देश में सबसे ज्यादा व्रत रखे जाते हैं और अलग-अलग मंदिरों में पूजा अर्चना की जाती है और सभी भक्तों दूर-दूर से मंदिरों में भी भगवान के दर्शन करने हैं.

आप सभी को पता होगा की भारत में ऐसे बहुत बड़े-बड़े मंदिर है जहां पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं वह बड़ी-बड़ी पूजा-अर्चना होती है भारत का कुंभ मेला दुनियाभर में प्रसिद्ध है जो कि दुनिया का सबसे बड़ा मेला है यहां पर हर साल यहां पर हर साल लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं और आपको इस मेले में दुनिया की हर चीज देखने को मिल जाएंगी इस मेले में बहुत बड़े-बड़े तपस्वी योगी ऋषि मुनि व भगवान के भक्त भी देखने को मिलेंगे जो कि भगवान की लीलाओं में समाए हुए हैं

वे भगवान को पाने के लिए कठोर तपस्या करते हैं ऐसा नहीं है कि यह तपस्या आज के समय में ही हो रही है बल्कि प्राचीन समय में भी भारत में बहुत बड़े-बड़े मुनि यदि वे ऋषि और भगवान के भक्त पैदा हुए हैं जिन्होंने भगवान को पाने के लिए सब कुछ त्याग दिया और भगवान की शरण में चले गए और उनमे से बहुत सारे भगवान के भक्त ऐसे भी थे जिन्होंने बचपन से ही अपने पूरे जीवन को भगवान को समर्पित कर दिया उन्ही में सूरदास भी एक ऐसे ही इंसान थे जो कि भगवान कृष्ण के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं .

उन्होंने भगवान कृष्ण को पाने के लिए बहुत कुछ किया और उन्होंने भगवान कृष्ण के लिए बहुत सारे पद व गीत भी लिखें सूरदास के बारे में आप में से लगभग सभी लोग जानते भी होंगे लेकिन सूरदास एक बहुत ही प्राचीन समय की कृष्ण भक्त थे इसलिए सभी लोगों को उनके बारे में पूरी जानकारी नहीं है तो इस ब्लॉग में हम आपको सूरदास जी के पूरी जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं

सूरदास कौन थे

सूरदास एक बहुत बड़े महा कवि कवि व संगीतकार थी जो कि भगवान कृष्ण की भक्ति में रंगे हुए थे ऐसा माना जाता है कि सूरदास भगवान कृष्ण के सबसे बड़े भक्त थे उन्होंने भगवान कृष्ण को पाने के लिए बहुत कुछ किया वह हर समय भगवान कृष्ण की भक्ति में खोए रहते थे और हर समय उनके गीत संगीत व पद गुनगुनाते रहते थे वे अपने जीवन में भगवान कृष्ण को पाना चाहते थे लेकिन सूरदास बचपन से ही अंधे थे वे कुछ भी नहीं देख पाते थे लेकिन फिर भी वे हर समय भगवान कृष्ण को मन की आत्मा से देखने की कोशिश करते थे इसीलिए सुबह से शाम तक हर समय भगवान कृष्ण की लीलाओं को गुनगुनाते रहते थे और हर समय उनको लगता था कि वे भगवान कृष्ण के पास मौजूद हैं उन्होंने अपने जीवन में भगवान कृष्ण की बाल लीला से लोगों को अवगत कराया.

उन्होंने भगवान कृष्ण के बारे में हर एक इंसान को बताया सूरदास भगवान कृष्ण के बारे में लोगों को बहुत ज्यादा जागरूक करते थे आपको बता दें कि जब भी भगवान कृष्ण की भक्ति की धारा की बात आती है तब सबसे पहले सूरदास का नाम भी लिया जाता है हालांकि सूरदास बचपन से अंधे थे लेकिन जो सूरदास जी ने अपनी भक्ति के जरिए देखा वैसा शायद ही दुनिया में कोई दूसरा इंसान देख पाएगा और उनकी भक्ति को आज दुनिया सलाम भी करते हैं इसीलिए हर साल हमारे देश में सूरदास जी की जयंती भी मनाई जाती है और उनकी लीलाओं को भी याद किया जाता है सूरदास जी की जयंती को मनाते समय भगवान कृष्ण और सूरदास जी के संबंध को दर्शाया जाता है.

दुनिया में बहुत बड़े-बड़े यदि तपस्वी वह भक्त पैदा हुए हैं लेकिन सूरदास भगवान कृष्ण के सबसे अलग भक्त ही वे अंधे होने के बावजूद भी भगवान कृष्ण को पाने की कोशिश करते रहते थे और वे हर समय लोगों को भगवान कृष्ण की लीला के बारे में सुनाते थे भगवान कृष्ण और सूरदास की भक्ति भगवान कृष्ण के प्रति सूरदास जी की इतनी कठोर तपस्या या भक्ति दुनिया के लिए एक मिसाल है दुनिया में दूसरा ऐसा कोई भी भक्त पैदा नहीं हुआ जो अंधा होने के बावजूद भी भगवान के प्रति इतना लगाव रखें.

सूरदास जी का जीवन परिचय

सूरदास जी एक बहुत ही प्राचीन समय की कृष्ण भक्त थे जिन्होंने अपनी भक्ति के जरिए भगवान कृष्ण को पाने की कोशिश की लेकिन भगवान लेकिन सूरदास जी के जन्म स्थान के बारे में अभी तक लोगों के बीच अलग-अलग मतभेद बना हुआ है क्योंकि बहुत सारे लोगों का मानना है कि सूरदास जी का जन्म हरियाणा राज्य के फरीदाबाद जिले की सीही नामक गांव में हुआ था जबकि कुछ लोग मानते है. सूरदास जी का जन्म मथुरा व आगरा के बीच रूनकता नामक स्थान पर हुआ था लेकिन उनका जन्म कहां हुआ था इसका अभी तक कोई सबूत नहीं मिला बहुत सारे लोग सूरदास जी का जन्म हरियाणा में मानते हैं जबकि बहुत सारे लोग इनका जन्म मथुरा और आगरा के बीच मौजूद गांव में मानते हैं

लेकिन सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में हुआ था वह एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए कृष्ण भक्त थे उनके पिता भी एक गायक हुआ करते थे जिनका नाम रामदास था और यही थी उनको भी भगवान को पाने की चाहत उठी और भगवान के लिए गीत गुनगुनाने लगे और धीरे-धीरे सूरदास भगवान कृष्ण की भक्ति में इतना लिप्त हो गए कि उनको हर समय भगवान कृष्ण के अलावा कुछ भी महसूस नहीं होता था सूरदास जी ने होने के बावजूद भी हर समय अपने आप को भगवान कृष्ण के पास महसूस करते थे.

उनको लेकर कई अलग-अलग  कहानियां भी है लेकिन उनके जीवन में असली मोड़ तब आया जब एक बार सूरदास जी अपने गांव के पास ही तालाब के किनारे चले गए और वहां से आगरा के पास गऊघाट में रहने लगे जहां पर लोगों उनको  एक स्वामी के रूप में जानने लगे और वहीं पर एक बार उनकी मुलाकात वल्लभाचार्य से हुई जिन्होंने उनको कृष्ण लीलाओं का दर्शन कराया और यही भगवान कृष्ण की लीलाओं का गान करने लगे.

इसके अलावा भी सूरदास जी के पूरे जीवन में बहुत सारी और कहानियां भी जुड़ी हुई है लेकिन सत्य तो यही है कि सूरदास जी भगवान श्री कृष्ण के सबसे बड़े भक्त थे उन्होंने अपने जीवन का पूरा समय भगवान कृष्ण की भक्ति में लगा दिया उन्होंने अपने जीवन में भगवान श्री कृष्ण के लिए बहुत सारे पद दोहे व गीत भी लिखे जो कि आज भी प्रचलित है और उनके कुछ पद्य दोहे तो बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय भी है जिनको बहुत सारे लोग गुनगुनाते हैं

सूरदास जी की जयंती कब मनाई जाती है

दुनिया में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जो कि भगवान श्री कृष्ण का भक्त नहीं है भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के लोग दुनिया भर में दीवाने हैं आप आपने देखा हुआ कि बहुत सारे विदेशी लोग भी आगरा मथुरा वृंदावन में आकर भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान करते हैं लेकिन अगर सूरदास जी नहीं होते तो शायद हमें भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से इतना ज्यादा अवगत कोई और नहीं करा पाता इसलिए हमारे देश में जितना प्रिय भगवान श्री कृष्ण को समझा जाता है उतना ही सूरदास जी को भी समझा जाता है .

इसीलिए हर साल हमारे देश में सूरदास जी की जयंती मनाई जाती है लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमें आज तक उनके जन्म स्थान के बारे में नहीं पता है वह एक प्राचीन समय में पैदा हुए कृष्ण भक्त हैं जिनके जन्म की कोई तारीख या महीना नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि सूरदास जी वल्लभाचार्य से लगभग 10 दिन छोटे थे और वल्लभाचार्य की जयंती वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी क्यों मनाई जाती है इसी के अनुसार सूरदास जी की जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाई जाती है और ऐसा माना जाता है कि सूरदास जी का निधन सन 1573 ईस्वी में हुआ था

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Q. सूरदास जी कौन थे
Ans. सूरदास एक बहुत बड़े कवि वह संगीतकार थे

Q. सूरदास जी का जन्म कब हुआ
Ans लगभग 1478 ईस्वी में

Q. सूरदास जी का देहांत कब हुआ
Ans. लगभग 1573 ईसवी में

Q. सूरदास जी के पिता का क्या नाम था
Ans. रामदास

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई सूरदास जी के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारी आप आना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.सूरदास का जीवन परिचय, सूरदास के पद, सूरदास के गुरु कौन थे, सूरदास का साहित्यिक परिचय, सूरदास के पद प्रश्न उत्तर, सूरदास के दोहे, सूरदास के लोकगीत, सूरदास हिंदी, सूरदास का जन्म कब हुआ, सूरदास अंधे कैसे हुए , सूरदास अंधे थे, सूरदास अनीता के लोकगीत, सूरदास अभंग,

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