हिमदाह / शीत क्षति होने के कारण लक्षण उपचार

हिमदाह / शीत क्षति होने के कारण  उपचार

जैसा कि आप सभी जानते हैं अब ठंड का मौसम आना शुरू हो चुका है और दिल्ली पंजाब हरियाणा राजस्थान जैसे राज्यों में अगले कुछ दिनों में ठंड का प्रकोप भी बढ़ जाएगा लेकिन कई बार ठंड का प्रकोप ज्यादा बढ़ने के साथ हमे कई प्रकार की अलग-अलग दिक्कत व समस्याएं आने लगती है और बहुत सारे लोगों को ठंड के कारण हाथ पैरों में सुन होने लगती है व हमारी त्वचा के ऊपर कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है तो इस ब्लॉग में हम इसी समस्या के बारे में विस्तार से बातें करने वाले हैं इस ब्लॉग में हम ठंड के मौसम में हाथ पैर सुन व हमारी त्वचा के ऊपर होने वाली समस्याएं के कारण लक्षण बचाव व इसके उपचार आदि के बारे में जानेगे.

हिमदाह / शीत क्षति

वैसे तो यह समस्या भारत में कम ही देखी जाती है लेकिन जिस जगह पर ठंड का प्रकोप ज्यादा होता है और जहां पर ठंड के मौसम में तापमान 0 डिग्री से नीचे चला जाता है उन जगहों पर अक्सर यह समस्या देखी जा सकती है लेकिन कई बार भारत के कुछ हिस्से जैसे हरियाणा पंजाब राजस्थान जैसी जगहों पर भी सर्दी के मौसम में तापमान 0 डिग्री से नीचे चला जाता है उसी समय पर कई लोगों में त्वचा की क्षति होने लगती है जिसको हिमदाह / शीत क्षति कहा जाता है यह एक ऐसी समस्या है जो ठंड के मौसम में हमारे शरीर के किसी विभाग के बिना ढके हुए रहने पर होती है और जब यह समस्या उत्पन्न होती है तब रोगी के हाथ-पैर नाक कान उंगली जैसी जगहों हिमदाह / शीत क्षति हो जाती है और इन जगहों पर सूजन आ जाती है वह इनके ऊपर हल्की-हल्की जुंझ आने लगती है और रोगी को बहुत तेज दर्द भी होता है क्योंकि ज्यादा ठंड के संपर्क में आने से हमारे शरीर के हाथ-पैर नाक, कान, उंगली के भागों तक खून सही से आदान-प्रदान नहीं कर पाता और हमारे शरीर के नाक कान पैरों की उंगलियों में खून जमा होने लगता है जिससे हमारी त्वचा नीली हो जाती है और कई बार लंबे समय तक यह समस्या रहने पर रोगी के शरीर की त्वचा फटने भी लगती है

कारण

अगर इस समस्या के उत्पन्न होने के कारण के बारे में बात की जाए तो जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया इस समस्या का सबसे मुख्य हमारी त्वचा का ठंड के संपर्क में आना होता है क्योंकि कई बार ठंड के मौसम में हम हमारी त्वचा के कुछ भागों को किसी कारणवश ढक नहीं पाते और इसी वजह से हमारी त्वचा का लंबे समय तक ठंड के संपर्क में आने पर खून का आदान-प्रदान नहीं हो पाता इसके कारण हमारी त्वचा में यह समस्या उत्पन्न होती है इसके अलावा इसके कई और कारण हो सकते हैं जैसे ठंड के मौसम में बिना कपड़े जूते पहने हुए काम करना, लंबे समय तक ठंडे इलाके में रहना, हमारी त्वचा के ऊपर ठंडा पानी गिरना, नमी वाले क्षेत्र में रहना, ठंड के मौसम में ठंडे पानी में काम करना, ठंड के मौसम में पर्वतारोही या पर्वतों पर चढ़ना, हल्के जूते व बिना जुराब के जूते पहनना, ठंड के मौसम में अचानक से बाहर जाना, बाहर जाते समय टोपी जैकेट जताने जूते आदि न पहनना बाइक आदि चलाते समय अपने मुंह को सही से ना ढकना आदि इस समस्या के कारण होते हैं

लक्षण

अगर इस समस्या के लक्षणों के बारे में बात की जाए तो जब किसी इंसान को ठंड के मौसम में यह समस्या होती है तब रोगी में इसके कई लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे शुरू में रोगी के हाथ पर की उंगली, कान, नाक, मुंह जैसी जगहों पर हल्की जूँझ होना, जूँझ धीरे धीरे बढ़ते रहना, रोगी के हाथ पैर की उंगलियों में सूजन आना, रोगी की हाथ-पैर नाक, कान जैसी जगहों पर सूजन आने पर दर्द होना, रोगी को इन जगहों पर सुइयाँ चुभने जैसा महसूस होना, रोगी के हाथ पैरों की उंगलियां न मुड़ पाना, रोगी की त्वचा काली व नीली हो जाना, कुछ समय बाद रोगी की त्वचा के ऊपर छाले पडना, लंबे समय तक यह समस्या रहने पर रोगी की त्वचा फटने लगना, रोगी को उठने बैठने में चलने में परेशानी होना आदि की समस्या के मुख्य लक्षण होते हैं

बचाव

अगर ठण्ड के मौसम में आपको भी यह समस्या हर साल होती है तब आप इसके बचाव के लिए कुछ ऐसी बातों का ध्यान रख सकते हैं जो कि आपके लिए फायदेमंद हो सकती है जैसे

  • ठंड के मौसम में आपको जूते जुराब व दस्ताने पहनकर ही बाहर जाना चाहिए
  • आपको ठंड के मौसम में चमड़े के जूते वह मोटी जुराबों का इस्तेमाल करना चाहिए
  • आपको ठंड के मौसम में अपनी त्वचा की सभी भागों को अच्छे से ढक कर रखना चाहिए
  • आपको रात में सोते समय मोटे कंबल व रजाई से अपने शरीर के सभी भागों को ढक कर सोना चाहिए
  • आपको ठंड के मौसम में बिना कपड़े व जूते के बाहर नहीं जाना चाहिए
  • आपको बाइक स्कूटर साइकिल आदि चलाते समय दस्ताने का इस्तेमाल करना चाहिए और अपने मुंह को अच्छी तरह ढकना चाहिए
  • आपको सर्दी के मौसम में ठंडे पानी में काम नहीं करना चाहिए
  • आपको ठंड के मौसम में बाहर जाने से बचना चाहिए
  • आपको अपनी त्वचा को इस समस्या से बचाने के लिए हर रोज गर्म पानी से स्नान करना चाहिए
  • अगर आपके हाथ पैरों की उंगलियों में सूजन आ गई है तब आपको गर्म पानी में नमक डालकर अपने हाथ पैरों की अंगुलियों को सेंकना चाहिए
  • आपको अपने हाथ पैरों की उंगलियों के ऊपर हल्के हल्के मालिश करनी चाहिए
  • आपको अपनी अपने शरीर के सभी भागों को आग से तापना चाहिए जिसे आपके शरीर का रक्त संचरण सही से हो सके

उपचार

वैसे तो इस समस्या का कोई डॉक्टरी इलाज उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह ठंड के संपर्क में आने से होने वाली समस्या है लेकिन इस समस्या से बचने के लिए आपको ऊपर बताइ गई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए आपको यह समस्या हो जाती है और आपको तेज दर्द होता है तब आपको डॉक्टर दर्द निवारक दवाइयां देती है जिससे आपके शरीर में रक्त संचार अच्छे से हो सके क्योंकि डॉक्टर आपको ऐस्प्रिन जैसी दवाइयां देते है. जिससे आपके शरीर का रक्त पतला हो जाता है और फिर आपके शरीर के सभी भागों में रक्त संचार होने लगता है इसके अलावा आपको डॉक्टर कुछ ऐसी बातें बताते हैं जो कि आप को इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करती है तो इस समस्या के होने पर आपको तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए

अगर आपको हर साल सर्दी के मौसम में यह समस्या हो जाती है तब आपको किसी अच्छे डॉक्टर से कुछ ऐसी दवाइयां लेनी चाहिए जो कि आप को इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करती है या ऊपर बताई गई कुछ घरेलू चीजों का भी इस्तेमाल करके इस समस्या से बच सकते हैं

हिमदाह / शीत क्षति होने के कारण लक्षण उपचार होम्योपैथी में पुरानी पित्ती उपचार पित्ती की आयुर्वेदिक दवा पित्ती की अंग्रेजी दवा शीतपित्त में क्या खाना चाहिए शीत पित्ती की दवा पतंजलि पित्ती की दवा इन हिंदी पित्ती उछलने पर क्या खाना चाहिए जुलपुत्ती की दवा

Leave A Reply

Your email address will not be published.