पेट का अल्सर के कारण लक्षण व उपचार

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पेट का अल्सर के कारण, लक्षण व उपचार

वैसे तो आज के समय में बहुत खतरनाक और बहुत भयानक बीमारियां फैली हुई है लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो कि आम बीमारियां होती हैं इनके कारण लक्षण और इलाज के बारे में हम पहले से ही कुछ जानकारी होती है. लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती है जिनका हम नाम भी नहीं जानते यह बीमारियां भी खतरनाक बीमारियां होती हैं

अगर इन बीमारियों का समय पर इलाज करवाया जाए यह हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकती है तो इसी तरह से आमाशय का घाव भी एक ऐसी अंदरूनी बीमारी है जो कि किसी भी रोगी को परेशान कर सकती है और इस बीमारी के बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते तो आज किस ब्लॉग़ में हम इसी बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की आमाशय में घाव कैसे उत्पन्न होते हैं इसके क्या कारण और लक्षण होते हैं और इसके उपचार आदि के बारे में.

पेट का अल्सर

जब किसी इंसान में अमाशय के घाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उस इंसान को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि इस समस्या के बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं होती और इस समस्या को अलग अलग नाम से जाना जाता हैं क्योंकि साधारण भाषा में इस रोग को वर्ष को अवश्य के गांव के नाम से ही जाना जाता है.

वैसे इस समस्या को पेप्टिक अल्सर या आमाशय का व्रण (छाला ) आदि नाम से जाना जाता है आमाशय के घाव एक ऐसी समस्या है जिसमें रोगी के पाचन तंत्र के अस्तर पर घाव हो जाते हैं और जिससे रोगी को कई प्रकार की दिक्कत आती है और इस समस्या में रोगी किए शरीर में हल्का दर्द रहता है वह खाना खाने के बाद यह दर्द हल्का हल्का बढ़ने लगता है

पेट का अल्सर के कारण

अगर इस समस्या के उत्पन्न होने के कारणों के बारे में बात की जाए तो जब कोई स्वस्थ इंसान भोजन करता है तब उसके शरीर से सामान्य मात्रा में गैस्ट्रिक एसिड पाचन रस और एंजाइम्स निकलते रहते हैं इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा भाग हाइड्रोक्लोरिक एसिड का होता है और जब हमारे शरीर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो जाती है.

तब यह पेप्सिन के साथ मिलकर आमाशय को क्षतिग्रस्त करने लगती है जिससे रोगी के आमाशय में हल्का व्रण/घाव, छाला अर्थात अल्स पड़ जाता है इसके कई मुख्य कारण भी होते हैं जैसे विटामिन ए और बी की कमी होना, जल्दी-जल्दी भोजन करना, शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न होना, विटामिन सी की कमी होना, पायरिया, आघात आदि रोग होना, ज्यादा कार्य, चिंता, क्रोध आदि करना, खाली पेट अधिक धूम्रपा,न शराब का सेवन व लाल मिर्च और तले हुए भोजन का सेवन करना, ज्यादा खटाई युक्त भोजन खाना आदि इस समस्या के मुख्य कारण होते हैं.

पेट का अल्सर के लक्षण

जब किसी इंसान में यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उस रोगी के अंदर इस समस्या के कई प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे रोगी के पेट में हल्का दर्द रहने लगता है खाना खाने के बाद दर्द धीरे-धीरे बढ़ जाता है रोगी को बार बार उल्टी आती है.

दर्द वाली जगह पर दबाने से रोगी को और ज्यादा कठिनाई होती है रोगी की छाती पर कंठ और पेट में जलन होने लगती है रोगी में भूख की कमी देखने को मिलती है रोगी को रोगी में थकान, आलस व कमजोरी देखी जा सकती है रोगी में क्रोध, चिंता व मानसिक तनाव उत्पन्न होने लगते हैं इसके अलावा भी इस समस्या में कई प्रकार के और लक्षण देखने को मिल सकते हैं और यह रोग ज्यादातर 25 से 40 वर्ष की आयु के इंसानों में उत्पन्न होता है

क्या खाना चाहिए

  • रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन खाना चाहिए
  • रोगी को अपने भोजन में दलिया वह चोकर युक्त आटे की रोटी का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को दूध के साथ बिस्किट ब्रेड लेने चाहिए
  • रोगी को ज्यादा से ज्यादा केले का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए

क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा तले भुने हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मिर्च मसालेदार व कटाई युक्त भोजन नहीं खाना चाहिए
  • रोगी को नींबू, अचा,र दही, उड़द की दाल, अंगूर, संतरा, अरहर की दाल, हरी और लाल मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को खाली पेट तले हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा कठोर भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे सूखी रोटी, बिस्किट और फैन आदि
  • रोगी को ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे गर्म चाय कॉफी शराब आदि

क्या करना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए
  • रोगी को चाय कॉफी और दूध को ठंडा करके पीना चाहिए
  • रोगी को नरम भोजन का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को लक्षण दिखाई देते ही तुरंत अपने पेट का एक्सरे करवाना चाहिए
  • रोगी को अपने शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न होने से बचना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को खाली पेट ज्यादा कठोर कार्य नहीं करने चाहिए
  • रोगी को वजन नहीं उठाना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा गंदगी वाले और धुआं युक्त क्षेत्र में नहीं जाना चाहिए
  • रोगी को भोजन चबा चबाकर खाना चाहिए
  • रोगी को भूख से ज्यादा भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए

लेकिन फिर भी अगर किसी इंसान के शरीर में आमाशय के घाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उसको जल्दी से जल्दी डॉक्टर के पास जाना चाहिए और टेस्ट आदि करवा कर दवाई लेनी चाहिए और यह एक ऐसी समस्या है जो कई बार लंबे समय तक चलती है इसलिए रोगी को इसके ऊपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

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