पीलिया रोग के कारण लक्षण व आयुर्वेदिक उपचार
कई बार हमारे शरीर में ऐसी बीमारियां उत्पन्न हो जाती है जो कि खतरनाक बीमारियां होती है इन बीमारियों का समय पर इलाज करवाया जाए तो यह हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकती
लेकिन इन बीमारियों की शुरुआत में हमें इनके ज्यादा लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जिनसे हमें पता नहीं चलता कि हम किसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे यह बीमारियां अपना असली रूप दिखाने लगती है.
ऐसी ही एक बीमारी का नाम पीलिया भी है जो कि एक खतरनाक बीमारी है इससे रोगी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और यह बीमारी अपने साथ दूसरी कई बीमारियों को भी जन्म दे सकती है
तो आज के इस ब्लॉग में हम किसी बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि पीलिया कैसे उत्पन्न होता है इसके कौन-कौन से कारण व लक्षण होते हैं और इसके उपचार आदि के बारे में.
पीलिया क्या है
What is jaundice in Hindi – पीलिया ऐसी खतरनाक बीमारी है जो कि रोगी के शरीर में उत्पन्न होने पर रोगी के नाखून, त्वचा और आंखों के रंग को पिला कर देता है जिससे रोगी का शरीर बिल्कुल कमजोर हो जाता है और इससे रोगी के शरीर में खून की कमी हो जाती है
जिससे रोगी के शरीर में दूसरी कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है और यह रोगी को किसी भी अवस्था में उत्पन्न हो सकता है लेकिन यह रोग महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है
यह रोग बहुत ही सूक्ष्म विषाणु के कारण फैलता है शुरू में तो इस बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन जब यह रोग धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंचने लगता है तब इससे रोगी की आंखें, नाखून व त्वचा पीली पड़ने लगती है और यह रोग मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है
जिसको वायरल वायरल हैपेटाइटिस ए, वायरल हैपेटाइटिस बी तथा वायरल हैपेटाइटिस नान ए व नान बी कहा जाता है और यह रोग उन लोगों में ज्यादा होता है जो कि ज्यादा भीड़ भाड़ वह गंदे वातावरण में रहते हैं या दूषित चीजों का सेवन करते हैं
पीलिया के कारण
Causes of jaundice in Hindi – पीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसके उत्पन्न होने के पीछे बहुत सारे कारणों का हाथ हो सकता है लेकिन इसके कुछ मुख्य कारण होते हैं जैसे शरीर में आयरन की मात्रा अधिक होना, हस्तमैथुन करना, लीवर में दिक्कत आना,
अपचन की समस्या उत्पन्न होना, दूषित हवा व दूषित वातावरण में रहना, लगातार ज्यादा समय तक अंधेरे में रहना, मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों का अधिक रक्त निकल जाना, मलेरिया बुखार होना,
पित्त में पथरी हो जाना, ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन करना, दूषित जल का सेवन करना, दूषित भोजन व बासी भोजन का सेवन करना, पाचन क्रिया में खराबी होना, ज्यादा शराब, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, खैनी, पान, गुटखा आदि
नशीली चीजों का सेवन करना,चर्म रोग होना जैसे फोड़े, फुंसी खाज-खुजली, ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करना, इसके अलावा भी इस समस्या के उत्पन्न होने के पीछे बहुत सारे कारणों का हाथ हाथ हो सकता है
पीलिया के लक्षण
Symptoms of jaundice in Hindi – जब किसी इंसान में पीलिया रोग दस्तक देता है तब रोगी में कई प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं लेकिन इस समस्या के कुछ मुख्य लक्षण होते हैं जैसे रोगी की आंख, चेहरा व त्वचा पीली पडना, रोगी का मूत्र पीला आना, रोगी को भूख प्यास कम लगना, रोगी को थकान आलस व कमजोरी होना,
शुरू शुरू में हल्का बुखार व सिर दर्द होना,रोगी के शरीर में खून की कमी होना, रोगी के मुंह का स्वाद बिगड़ जाना, पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द होना,
लीवर से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होना, शरीर में विटामिन के की कमी हो जाना, शरीर में कैल्शियम व विटामिन की कमी होने पर हड्डियों के जोड़ों में दर्द होना, त्वचा पर खाज खुजली में फोड़े फुंसी होना, रोगी का जी मचलना, रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा व गुस्सैल होना, इसके अलावा भी इस समस्या में आपको बहुत सारे लक्षण देखने को मिलते हैं
क्या खाना चाहिए
- रोगी को हल्के व सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए
- रोगी को जामुन बादाम जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को हर रोज एक से दो गिलास गन्ने का रस पीना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को तले हुए भोजन का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
- रोगी को शराब चाय कॉफी और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा पीले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे पपीता, आम, केला आदि
- रोगी को ज्यादा मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए
घरेलू उपचार
- रोगी को हर रोज सुबह शाम गन्ने के रस का सेवन करना चाहिए
- रोगी को बकरी के दूध का सेवन करना चाहिए इससे आपके शरीर में हेपेटाइटिस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार होती है
- रोगी को हर रोज कीमा लहसुन का कीमा बनाकर तीन से चार लोग डालकर खाने चाहिए
- रोगी को लगभग 2 इंच के अदर के टुकड़े को उबालकर एक कप पानी हर रोज पीना चाहिए
- रोगी को हर रोज एक से दो नींबू का रस को एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद डालकर हर रोज दो से तीन बार पीना चाहिए
- रोगी को शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे पनीर. मछली और अंडे आदि
- रोगी को हर रोज एक कटोरी दही का सेवन करना चाहिए
- रोगी को आंवले के जूस का सेवन करना चाहिए या फिर आप कच्चे या सूखे हुए आंवले का भी सेवन कर सकते हैं
- रोगी को हर रोज दो से तीन टमाटर उबालकर शहद के साथ उबले हुए टमाटर के पानी का सेवन करना चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह सुबह तुलसी के ताजा पत्तों को चबा चबा कर खाना चाहिए
- रोगी को कच्ची मूली के पत्तों का सेवन करना चाहिए या मूली के पत्तों का रस निकालकर दिन में दो से तीन बार पीना चाहिए
लेकिन फिर भी अगर किसी इंसान के शरीर में पीलिया रोग उत्पन्न हो जाता है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह एक खतरनाक बीमारी है इससे रोगी की कुछ ही दिनों में मृत्यु भी हो सकती है तो इस समस्या में देरी करना जान से खेलने के बराबर है
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