रॉकेट का अविष्कार किसने और कब किया

रॉकेट का अविष्कार किसने और कब किया

रॉकेट एक ऐसा वायुयान है जिसको  किसी भी वातावरण में उड़ा सकते हैं रॉकेट को एरोप्लेन की तरह उड़ान भरने के लिए हवा की आवश्यकता नहीं होती यह धरती के वातावरण या किसी अन्य वातावरण में उड़ सकता है धरती पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए एरोप्लेन बनाई था लेकिन धरती से बाहर के वातावरण में जाने के लिए यानी अंतरिक्ष में जाने के लिए रॉकेट का अविष्कार हुआ था राकेट के  अविष्कार ने विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांति लाकर खड़ी कर दी राकेट के अविष्कार से नई  नई खोज हुई वैज्ञानिको ने धरती के बाहर बहुत रिसर्च की और दुसरे ग्रह पर जीवन खोजने की कोसिस कर रहे है और  राकेट-यान ने धरती के मानव को चंद्रमा तक पहुंचाया है।

और रॉकेट एक ऐसा वायुयान है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को लांघते हुए बाह्य अंतरिक्ष तक पहुचता है यही एक राकेट-यान है जिस से अंतरिक्ष में यात्रा कर सकता है कहा जाता है  भविष्य में यह यान आदमी को सौर-मंडल के सभी ग्रहों तक पहुंचा देगा, और आगे यही यान आदमी को दूसरे तारों के ग्रहों तक या आकाशगंगाओं की दूरस्थ सीमाओं तक भी लेकर जा सकेगा और रॉकेट के उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है  रॉकेट के अंदर तरल आक्सीजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है इसमें  ईंधन को जलाया जातां है तो जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है

और यह गैस आग के रूप में पुरे दबाव में पीछे को निकलती है और इतने दबाव में प्रतिक्रिया होती है रॉकेट को बहुत तेज वेग से आगे की ओर यानि उपर की और ले जाती है और यदि रॉकेट का आविष्कार नहीं होता तो मानव आज अं‍तरिक्ष में नहीं जा पाता  उनका अं‍तरिक्ष में जाने का सपना एक सपना रह जाता और जो राकेट की सहायता से इतनी बड़ी बड़ी मिसाइल बनाई जा रही है न ही घातक किस्म की मिसाइलें बना सकता थे |

 रॉकेट का अविष्कार किसने और कब किया

सबसे  पहले रॉकेट का इतिहास 13 वी सदी से शुरु होता है सबसे  पहले रॉकेट अविष्कार चीन में रॉकेट का आविष्कर हुआ था और शुरु में राकेट का इस्तेमाल  हथियार के रूप में किया जाता  था यह बहुत ही खतरनाक अस्त्र शस्त्र था सबसे पहले राकेट का इस्तेमाल सन , 1232 में किया गया था, चीनी और मंगोलों एक दूसरे के साथ युद्ध में किया था

और कहा जाता मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट टेक्नोलोजी यूरोप पहुँची थी  और फिर  अलग अलग  शासकों से  यूरोप और एशिया के अन्य भागों मे प्रचलित हुई कहा जाता है की सन् 1792 में  मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के साथ  युद्ध के समय उनके  विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया था

और अंग्रेजो ने यह चीज कभी नही देखी थी पहले और वे घबरा गये और जब वे आखिर में युद्ध हार गये और बाद में  अंग्रेज सेना ने रॉकेट के बारे में जाना और उसका महत्त्व को समझा और  इसकी टेक्नोलोजी  को विकसित कर विश्वभर में इसका इस्तेमाल अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए किया।

और सन् 1926 में, रॉबर्ट गोडार्ड दुनिया का पहला तरल  ईंधन रॉकेट शुरू की थी और  16 मार्च, 1926 को ऑबर्न, मैसाचुसेट्स, पर दुनिया का पहला तरल ईंधन रॉकेट प्रक्षेपण था जो  60 मील प्रति घंटा, दूर लैंडिंग 41 फुट और 184 फुट की ऊंचाई तक पहुंच गया। रॉकेट 10 फीट लंबा था और इसमें ईंधन के लिए तरल ऑक्सीजन और पेट्रोल का इस्तेमाल किया गया था रॉकेट को धरती से उठाकर अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिए ऊर्जा के निर्माण की जरूरत होती है। रॉकेट इंजन यही कार्य करता है।

और सन  1907 में   बारूद रॉकेट में निर्माण, किया जिनका उपयोग युधो में एक खतरनाक हथियार के रूप में किया जाता है आज कई तरह की अत्या‍धुनिक तोपों से भी रॉकेट को लांच किया जाता है

 यह भी देखें

इस पोस्ट में आपको रॉकेट का ईंधन रॉकेट की गति रॉकेट नोदन का सिद्धांत रॉकेट ईंधन में प्रयुक्त बहुलक का नाम रॉकेट के उड़ने का सिद्धांत रॉकेट कैसे बनता है के बारे में बताया गया है अगर इसके अलावा आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछें. और इस पोस्ट को शेयर जरूर करें ताकि दूसरे भी इस जानकारी को जान सकें.

5 Comments
  1. Jagannath ber says

    Computer se judi sari jankari. चाहिए

  2. Injmamul hak says

    Mai chahta hun ki mujhe sari khojkarta ke bare me bataya jaye

  3. Sanjay Kumar says

    Sabse pehle misael kis desh ne banaya tha

  4. mukesh chandra suthar says

    sir aap bahut achchi post lolhte he. or aap hindi me likhte he ye mujhe bahut

  5. mukesh chandra suthar says

    sir aap bahut achchi post lolhte he. or aap hindi me likhte he ye mujhe bahut hi achcha lagta he.
    mene bhi ek rocket ke

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