ठण्डे देशों में पारे के स्थान पर एल्कोहॉल को तापमापी द्रव के रूप में वरीयता दी जाती है, क्योंकि -Thande Deshon Me Pare Ke Sthan Par Alcohol Ko Taapmapi Drav Ke Roop Me Variyata Dee Jati Hai , Kyonki
ताप मापने के लिए जो उपकरण प्रयोग में लाया जाता है उसे तापमापी कहते हैं। तापमापी कई प्रकार के होते हैं। तापमापी में पदार्थ के किसी गुण का उपयोग करते हैं जो ताप परिवर्तन के अनुपात में बदलता रहता है उसे तापमापक गुण कहते हैं। विभिन्न प्रकार के तापमापियों में पारे के तापमापी में पारे के ऊष्मीय प्रसार के गुण का उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार किसी गैस के स्थिर आयतन पर दाब गैस के ताप के साथ बदलता है। इसे स्थिर आयतन गैस तापमापी कहते हैं। प्लेटिनम के तार का प्रतिरोध ताप के साथ बदलता है। प्रतिरोध के ताप के साथ बदलने के इस गुण का उपयोग प्रतिरोध तापमापी में किया जाता है। साधारणतया ताप बढ़ने पर इनमें डाले गये द्रवों में फैलाव होता है। मुख्य रूप से अल्कोहल व पारा ही ऐसे द्रव हैं जो थर्मामीटर में प्रयोग किये जाते हैं। एल्कोहल का प्रयोग उन तापमापियों में किया जाता है जो -40°C नीचे ताप मापने के काम आते हैं। ध्यातव्य है कि एल्कोहल का द्रवणांक निम्नतर होने के कारण इसका हिमांक भी काफी नीचे होता है, फलतः शून्य से कम तापमान पर भी यह द्रव अवस्था में बना रहता है।