सारनाथ में अपना प्रथम प्रवचन महात्मा बुद्ध ने दिया था .बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था। पालन-पोषण मौसी गौतमी ने किया था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इन्होंने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग (महाभिनिष्क्रमण) दिया। बैसाख पूर्णिमा के दिन इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तनम् (सारनाथ) में दिया है। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है। कुशीनगर में इनकी मृत्यु हो गई इसे महापरिनिर्वाण कहा गया है।
जैन धर्म का आधारभूत बिन्दु अहिंसा है, वैसे जैन धर्म में 5 महाव्रतों का विधान भिक्षुओं के लिये किया गया है –
(i) सत्य व अमृषा – इसमें सदा सत्य एवं मधुर बोलने की बात कही गयी है।
(ii) अहिंसा – सभी प्रकार की मानसिक, वाचिक एवं कायिक हिंसा से बचने की बात कही गयी है। यह जैन धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत है।
(iii)अपरिग्रह – इसमें सब प्रकार के सम्पत्ति अर्जन से भिक्षओं को बचने की बात कही गयी है।
(iv)अस्तेय – इसमें अनुमति के बिना किसी दूसरे की सम्पत्ति ग्रहण करने से बचने की बात कही गयी है।
(v) ब्रह्मचर्य – इसमें भिक्षुओं को पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने की बात कही गयी है। ध्यातव्य है कि तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा दिये गये 4 महाव्रतों में महावीर ने पांचवां व्रत ‘ब्रह्मचर्य’ जोड़ा।