किसने साम्प्रदायिक अधिनिर्णय घोषित किया?साम्प्रदायिक पंचाट क्या था साम्प्रदायिक निर्वाचन क्या है कम्युनल अवार्ड के बारे में आप क्या जानते हैं सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व अधिनियम सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का अर्थ
अंग्रेजो की ‘बांटो और राज करो’ की नीति का असली रूप तब सामने आया जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री ‘रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को साम्प्रदायिक निर्णय (कम्यूनल एवार्ड) प्रस्तुत किया। इसके तहत कानूनी रूप से दलित वर्ग को भी अल्पसंख्यक मानकर हिन्दुओं से अलग कर दिया गया। इसके तहत प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विधान मण्डलों में कुछ सीटें सुरक्षित कर दी गई जिनके सदस्यों का चुनाव पृथक निर्वाचक मण्डलों द्वारा किया जाना था। मुसलमान, सिक्ख, और ईसाई पहले से ही अल्पसंख्यक माने जा रहे थे। गाँधीजी उस समय यरवदा जेल में थे। उन्होंने इसके विरोध में आमरण अनशन कर दिया। मदन मोहन मालवीय, राजेन्द्र प्रसाद, पुरुषोत्तम दास और राजगोपालाचारी के प्रयासों से गाँधीजी और अम्बेडकर में पूना पैक्ट हुआ (26 सितम्बर, 1932) जिसके तहत पृथक निर्वाचक मण्डल (दलित) समाप्त कर दिया गया लेकिन प्रांतीय विधान मण्डलों में दलितों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़कर 147 कर दी गयी।