पहिए का आविष्कार किसने किया

पहिए का आविष्कार किसने किया

पहिए जिसके उपर सारी दुनिया चलती है और आज पहिए के बल पर ही दुनिया चल रही है यदि पहिया न होता तो सब रुका हुआ होता आज पहिए की रफ्तार इतनी तेज हो गई है पहिए एक पहिया किसी भी चीज  में लगा हुआ एक गोल आकार का ऐसा भाग होता है  जो भार ढोने के साथ-साथ धरती पर लुड़क कर वाहन को चलाने का काम भी करते हैं केवल एक पहिया मशीन नहीं है, लेकिन जब एक धुरा को असर के साथ जोड़कर संलग्न किया जाता है, तो यह पहिया और धुरा बनाता है|

पहिया के आविष्कार ने मानव जीवन में एक क्रांति लाकर खड़ी कर दी पहले लोग किसी भी समान को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते थे लेकिन जब से पहले का अविष्कार हुआ उसके बाद लोगों को भारी से भारी समान  एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में कोई जोर नहीं आता  हैं सबसे पहले  पहिया पत्थर के टुकड़ों से बनाया जाता था लेकिन बाद में धीरे-धीरे बदलाव होते गए और पत्थर के बाद लकड़ी के पहिए बनने लगे लेकिन आज के आधुनिक युग में अच्छे से अच्छे पहिए की आवश्यकता है तो बड़ी से बड़ी कंपनियां आज पहले बना रही है वह भी रबड़ गए जिन्हें हम टायर जाते हैं

आज के आधुनिक युग में बहुत से धातु से भी पहिए बनाए जाते हैं आज पहिया बोझ  और रफ्तार के हिसाब से बनाए जा रहे हैं और हर साधन के हिसाब से पहिया बनाया  जाता है  और पहिए ने  यह सबसे बड़ा विकास यह किया कि मानव अब चंद घंटों में ही धरती के एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंच जाता है

पहिए का आविष्कार

सबसे पुराना बरामद नमूना एक लकड़ी का स्लोवेनियाई मॉडल है जो 5,100 से 5,350 साल पहले बना था कहा जाता है कि जिस तरह भारत में बहुत से वैज्ञानिक अविष्कार हुए जैसे जीरो के आविष्कार  गणित की दुनिया मे क्रांति ला दी उसी  तरह कहा जाता है कि  पहिए का अविष्कार भारत में हुआ था लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि  सबसे पहले आविष्कार ईसा से 3500 वर्ष पूर्व मोसोपोटामिया (इराक) में हुआ था सबसे पहले पहिया पेड़ को काट कर उसके तने से बनाया जाता है

उनका कहना था कि था की इराक में पहिए का आविष्कार हुआ था लकड़ी के पहिए का आविष्कार हुआ और आज किताबो में भी यही पढ़ाया जाता है लेकिन सच तो यह है की पहिया का आविष्कार आज से लगभग 5000 साल पहले यानी महाभारत काल युग में भारत में ही हुआ था

उस समय पहिए का उपयोग रथो में किया जाता था लेकिन कहा  जाता है की  सिन्धु घाटी की सभ्यता किन्हीं कारणों से अचानक नष्ट हो गई यहां तक कि खुदाई में भी ऐसे कई सबूत मिले हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि पहिए का प्रचलन सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के बीच व्यापक पैमाने पर था विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी जो 1500 से 3000 ईसा पूर्व पुरानी है के अवशेषों में प्राप्त खिलोने या हाथी गाड़ी भारत के संग्रहालय रखी गयी  है जो यह प्रमाण देती है  की पहिया का आविष्कार भारत में हुआ था ना कि इराक में हुआ था |

पहिए का आविष्कार महत्वपूर्ण अविष्कार माना  जाता है क्योंकि पहिया के आविष्कार से ही आज मानव जीवन गति कर रहा है और सब चीजें रफ्तार पकड़ी हुई यदि पहिए का आविष्कार ना होता तो आज दुनिया इतनी तरक्की नहीं करती और एक जगह रुक कर रह जाती पहिया आदिमानव काल में भी उतना ही उपयोगी था जितना आज के युग में है

लेकिन आदि मानव पत्थर के पहले बना कर सामान को एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाते थे उन पत्थरों के पहियों से बहुत जोर आता था और आज के आधुनिक युग में तो इतने आधुनिक तैयार किए गए हैं कि कितना भी बोझ कितनी भी दूर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है आधुनिक वाहनों में हवा से भरे रबर के पहिये होते हैं जो टायर कहलाते हैं

यह बड़ी  आसानी से कितना भी बोझ  एक स्थान से दुसरे तक ले जा  सकते हैं आज के वाहनों में रबड़ से बने हवा भरे हुए टायर इस  लिए इस्तेमाल किए जाते हैं क्योंकि उन से वाहनों को इस से वाहनों को सामान ले जाने में जोर काम आता है और रफ्तार के लिए भी रबड़ के बने हवा भरे हुए पहिए इस्तेमाल किये जाते है

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