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iOS क्या है What is iOS in Hindi

iOS क्या है What is iOS in Hindi

IOS Apple Incorporated द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है जो Apple के सभी मोबाइल डिवाइससिस पर रन करती है एंड्राइड के बाद IOS दुनिया भर में दूसरी सबसे मसहुर मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है IOS इस्तेमाल करती है एक मल्टिटच इंटरफेस को जिसमें सधारण इशारों की मदद से डिवाइस को ऑपरेट किया जाता है सधारण इशारों का मतलब है जैसे डिवाइस के उपर ऊँगली को स्वाइप करना जिससे अगले पेज पर जा कर काम किया जा सके.

स्क्रीन को जुम करने के लिए अपनी उंगलियों से पिंच करना ये सब काम आप IOS में बिना रोक टोक के कर सकते है IOS अपने डिवाइससिस के सेंसर को बहुत मजबूत बनती है जो आपकी उंगलियों को तुरंत डिटेक्ट कर आपका काम आसान कर देता है IOS Apple डिवाइससिस के हार्डवेर के सभी पहलुओ को कंट्रोल करता है साथ ही सॉफ्टवेयर के सभी काम को भी यही संभालता है Apple के App-store में 2 मिलियन से ज्यादा IOS अप्लिकेशनस डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है जो सभी मोबाइल डिवाइस का सबसे मसहुर App-store है

IOS का इतिहास

2005 में जब स्टीव जॉब्स ने IPhone बनाने कि योजना शुरू की तो उनके पास दो विकल्प थे पहला MSC यानि मैक को छोटा करने का जो Apple कम्पनी का Desktop है और दूसरा IPod को और बड़ा करना इस समस्या को सुलझाने के लिए वे मैक और आईपॉड बनाने वाले दल से मिले और उसके उन्होंने IPhone के लिए IOS बनाने का निर्णय लिया उसके बाद साल 2007 जनवरी में IPhone के साथ नया ऑपरेटिंग सिस्टम रिलीज किया गया IPhone के रिलीज क समय ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम IPhone OS रखा गया था शुरू में IPhone के OS में कोई भी थ्रडपार्टी App को डिवाइस में रन करने की इजाजत नहीं थी.

स्टीव जॉब्स का विचार था की अप्लिकेशनड्वेल्परस सफारीवेबब्राउजर के जरिये वेबअप्स को ड्वल्प कर सकते है ताकि IPhone वेबअप्स के उपर निर्भर करे जो देशी App की तरह व्यवहार करेगा अक्तूबर 2007 में Apple ने घोषणा की एक मूलसोफ्टवेयर ड्वेल्पमेंट किट SDK विकास में है और उन्होंने इसे ड्वेल्परस के हाथो में फरवरी में रखने की योजना बनाई गई 6 मार्च 2008 में IPhone SDK बनकर तैयार हो गया था और इसकी घोषणा की गई 10 जुलाई 2008 में IOS AppStore को खोला गया जिसमें शुरु में 500 अप्लिकेशनस मौजूद थे,

लेकिन सितंबर 2008 से लेकर साल 2017 तक इसकी संख्या 2.2 मिलियन हो गई थी इन Apps को सामूहिक रूप से 130 अरब से अधिक बार डाउनलोड किया गया था जो की बहुत बड़ी बात थी सितंबर 2007 में Apple ने IPod की घोषणा की उसके बाद जनवरी 2010 में IPed की घोषणा की जिसमें IPhone और IPod की तुलना में बड़ी स्क्रीन थी जिसे वेबब्राउजिंग, मिडियाकंजपसन और रिडींग के लिए डिजाइन किया गया था जून 2010 में Apple ने IPhone OS को IOS के नाम से बदल दिया पहले Apple OS ज्यादा प्रोग्रामस को संभाल नहीं पाता था.

जिससे उन्हें मजबूर होकर नया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम IOS बनाना पड़ा Apple का IOS वर्तमान का मुख्य सोफ्टवेयर है जो IPhone, IPed, IPod Tuch और IPed मिनी मोबाइल डिवाइससिस के सभी मॉडलस पर चलता है और Apple की समार्ट घड़ी पर भी यही सोफ्टवेयर काम करता है Apple IOS में जब भी कोई नया फ़ीचर एड करता है तब इसे सोफ्टवेयर उपडेट कहा जाता है Apple हर साल IOS का नया वर्जन लाता है. वर्तमान में IOS का लेटेस्ट वर्जन है IOS 12 जिसे सितंबर 2018 को रिलीज किया गया नए वर्जन में परफोर्मेंस, और क्वेवेलटी इम्प्रूवमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया गया है IOS के लिए मुख्य हार्डवेयर प्लेर्फोर्म ARM आर्केटेकचर है IOS आज से पहले जितने भी IOS डिवाइस है उनमें केवल 32 बिट ARM प्रोसेसर के साथ डिवाइस पर चलाया जा सकता है.

लेकिन 2013 में IOS को पूर्ण 64 बिट प्रोसेसर के समर्थन के साथ रिलीज किया गया है Apple का नया वर्जन IOS 12 उन सभी डिवाइससिस पर मिल जायेगा जो 64 प्रोसेसर पर रन कर रहा है IOS की यह एक ख़ास बात है जब भी इसमें कोई नए फीचर्स एड किये जाते है तो यह तुरंत ही Apple के सभी डिवाइससिस में सोफ्टवेयर उपडेट के लिए इजाजत दे दता है जबकि दुसरे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में नए फीचर रिलीज होने के बाद भी उसे अपने डिवाइस में पाने के लिए इन्तजार करना पड़ता है

IOS दुसरे ऑपरेटिंग सिस्टम से अलग कैसे है

IOS दुसरे ऑपरेटिंग सिस्टम से बिलकुल अलग है क्योंकि ये अपने डिवाइस में मौजूद सभी App को अपने प्रोटेकटीव शेयल के अंदर रखता है जिससे App एक दुसरे से अलग रहे और एक दुसरे के काम में दखल अंदाजी ना करे IOS को इस प्रकार डिजाइन किया गया है ताकि डिवाइस में अगर गलती से भी App के जरिये वायरस आ जाता है तो वो दुसरे Apps को नुक्सान पहुँचाने में नाकामयाब हो सके जबकि दुसरे ऑपरेटिंग सिस्टम में ऐसा कोई फीचर देखने को नहीं मिलता है IOS में जो प्रोटेकटीव शेयल होते है वो Apps के घिरे हुए है इसलिए उनके कारण Apps में बहुत सी कमीया भी आ जाती है क्योंकि एक App दुसरे App से डायरेक्ट कमनुकेट नहीं कर पाते है जैसे हम एंड्राइड OS के डिवाइस में देखते है की अगर कोई न्यूज की लिंक किसी ने व्हाटसप्प पर भेजी हो तो हम किसी भी ब्राउजर जैसे क्रोम की मदद से देख पाते है.

इसमें व्हाटसप्प क्रोम के App के साथ डायरेक्ट कमनुकेट कर पाता है यही फीचर हमे IOS डिवाइस में नहीं मिलती है लेकिन ये एक अलग ही फीचर का उपयोग करता है जिसे एक्स्टेन्सेबलटी कहते है ये फीचर एक App को दुसरे App के साथ कमनुकेट करने के लिए यूजर्स से Approvel मांगने की इजाजत प्रदान करता है बिना Approvel के एक App को दुसरे App के साथ कमनुकेट करना ना मुमकिन है IOS और एंड्राइड के बिच एक मुख्य अंतर है जो की लोगो को बहुत अधिक पसंद आती है वो ये है की एंड्राइड के साथ आपको चोइस मिलती है जिसमें आप दुसरे कम्पनी के फोन का इस्तेमाल कर सकते है जिनमें एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम को लोढ़किया जाता है जैसे Samsung, LG, HTC, Xiomi, Micromax जबकि IOS एक यूनिफार्म प्लेटफोर्म है जो केवल Apple के दवारा बनाई गई डिवाइस पर ही रन कर सकता है.

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