Calisthenics और Weightlifting में क्या अंतर है?
कलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज़ और वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज़ दोनों ही स्ट्रेंथ, मसल,स्टेमिना और हड्डियाँ माजूबूत करने के लिए की जाने वाली एक्सरसाइज़ है। Calisthenics एक्सरसाइज़ मे किसी तरह का equipment का इस्तेमाल नही किया जाता है यह बॉडी वेट से की जाने वाली एक्सरसाइज़ मे आता है। और Weightlifting मे हम वेट मशीन, डंबल का इस्तेमाल होता है।
कलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज़ के फायदे:-
यह एक्सरसाइज़ कहीं भी की जा सकती है क्योकि इसमे किसी तरह के equipment का इस्तेमाल नही होता है। और इसमे वेटलिफ्टिंग से ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। अगर आप एक बार कलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज़ के सही मूवमेंट सीख जाते है तो आप मसल स्ट्रॉंग करने और फ्लेक्सिबिलिटी लाने मे कामयाब हो जाएंगे।
कलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज़ की कमियाँ:-
अगर आप जल्दी मसल बनाना चाहते है तो यह आपके लिए कलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज़ करना इतना फायदेमंद नही होगा जितना की वेटलिफ्टिंग से आप मसल बना सकते है। इसमे आप एक्सट्रा वेट इस्तेमाल नही कर सकते है जिसकी वजह से यह एक लिमिट तक ही की जा सकती है लेकिन एसा हो सकता है की रेगुलर एक्सरसाइज़ आप कुछ न्ये मुव इजात कर सकते है। और आप अपनी हर मसल को प्रोपर तरीके से बिल्ड करना चाहते है तो आपको वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज़ करनी चाहिए।
वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज़ के फायदे:-
अगर आप अपनी मसल को जल्दी बढ़ाना और ताकतवर करना चाहते है तो आपके लिए वेटलिफ्टिंग से अच्छा कोई ऑप्शन नही है। वेटलिफ्टिंग मे आप पर निर्भर करता है की आप वेट मशीन से एक्सरसाइज़ करते है या फ्री वेट एक्सरसाइज़ कर सकते है। इसमे आप अपनी हर मसल को अलग अलग बिल्ड करने के लिए एक्सरसाइज़ कर सकते है।
वेटलिफ्टिंग एक्सरसाइज़ की कमियाँ:-
सबसे बड़ी किसकी कमी तो यह है की आपको इसके लिए किसी न किसी जिम का चुनाव करना पड़ता है। जिम के बिना इसके समान आम आदमी के खरीदने के बस मे नही है। और समान को कहीं पर लेकर भी ट्रेवल नही कर सकते है। वेटलिफ्टिंग मे समान की जरूरत हर मसल की अलग से एक्सरसाइज़ करने के लिए किया जाता है मतलब एक मसल हर रोज। इसके लिए आपको हर रोज जिम जाना पड़ेगा। वेटलिफ्टिंग मे चोट लगने का खतरा रहता है। और जो लोग पहली बार जिम जा रहे होते है तो उन्हे ट्रेनर की जरूरत पड़ती है।
मेरी राय:-
इस मामले मे मेरी राय यह की अगर आपको मसल जल्दी बिल्ड करना है तो आप अपने ट्रेनर के देख रेख मे एक्सरसाइज़ करे और हर महीने मे कलिस्थेनिक एक्सरसाइज़ भी करे जिससे आपके बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी भी बनी रहे। लेकिन दोनों प्रकार की एक्सरसाइज़ मे अपने बॉडी पॉस्चर पर जरूर ध्यान रखे।