सामान्य ज्ञान

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय और उनका योगदान

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय और उनका योगदान

जब भारत 200 साल तक अंग्रेजों का गुलाम रहा उस समय में भारत का सभी काम अंग्रेजो के द्वारा ही किया जाता था अगर भारत में किसी चीज का निर्माण करना है वह अंग्रेजों द्वारा होता था या भारत में किसी तरह के कानून को लागू करना है तो वह भी अंग्रेजों द्वारा ही किया जाता था और अंग्रेजों के समय में भारत में कई अलग-अलग रियासतें होती थी जिनके अलग अलग राजा व शासक होते थे.

उन्हीं सभी के द्वारा अपनी अपनी रियासतों में अंग्रेजों को अलग-अलग प्रकार की चीजों का लगान दिया जाता था लेकिन जब भारत में आजादी की मांग उठने लगी तब धीरे-धीरे पूरे भारत का दृश्य बदलने लगा क्योंकि भारत के लोगो पर अंग्रेजों का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था और इस अत्याचार को सहन करना नामुमकिन हो गया था इसीलिए भारत के हर एक कोने से अलग अलग क्रांतिकारी उठने लगे.

अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ने लगे थे वैसे तो अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई काफी समय पहले भड़क चुकी थी लेकिन भारत में कई ऐसे गद्दार नेता थे जोकि अंग्रेजों का साथ देते थे और उनकी वजह से भारत को इतने दिनों तक अंग्रेजों का गुलाम भी रहना पड़ा लेकिन उनके अलावा भारत में कई ऐसे दृढ़ निश्चय के कट्टर देशभक्त थे. जिन्होंने शायद भारत को आजादी दिलाने के लिए ही जन्म लिया था.

उन इंसानों को किसी चीज से फर्क नहीं पड़ता था उन्हें अंग्रेजों से अपनी आजादी चाहिए थी भारत में ऐसे कई नेता व स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं जिन्होंने आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन भारत में कई नेता व स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुए जिन्होंने भारत की आजादी में तो साथ दिया ही इसके साथ ही उन्होंने भारत की आजादी के बाद भी कई ऐसे कार्य किए जो कि भारत को तेजी से तरक्की की ओर ले जा सके.

भारत को एकजुट कर सके ऐसे ही एक इंसान सरदार वल्लभभाई पटेल भी थे जिन्होंने भारत की आजादी में तो योगदान दिया ही उन्होंने भारत के एकीकरण में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया शायद आप में से बहुत सारे लोग सरदार वल्लभभाई पटेल की पूरी जीवन के बारे में नहीं जानते होंगे तो इसीलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपको सरदार वल्लभभाई पटेल के पूरे जीवन परिचय और उनके योगदान के बारे में बताने वाले हैं

सरदार वल्लभभाई पटेल

सरदार वल्लभभाई पटेल उन कट्टर देशभक्तों में से एक थे जिन्होंने भारत की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई सरदार वल्लभभाई पटेल एक दृढ़ निश्चय के सच्चे देशभक्त थे उन्होंने भारत के लिए कई ऐसे कार्य किये जिन्होंने भारत को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद की और सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित थे इसीलिए वे महात्मा गांधी के साथ उनके विचारों का समर्थन करते थे.

वे महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में भी शामिल हुए सरदार वल्लभभाई पटेल आजाद भारत के पहले गृहमंत्री और प्रधानमंत्री थे सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल जिस काम को करने के लिए लग जाते वह उनको हमेशा कर कर ही क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल कभी अपनी बातों व अपने वादों से नहीं मुकरे आजादी के समय भी उन्होंने कई वादे किए.

उन्होंने अपने देशवासियों से वादा किया था कि वह एक दिन उनको जरूर आजादी दिलाएंगे और उन्होंने अपने इस वादे को भी पूरा किया सरदार वल्लभ भाई पटेल की वह इंसान है जिन्होंने भारत की आजादी में तो योगदान दिया ही इसके बाद भी उन्होंने भारत के एकीकरण के लिए कई कार्य किए और उन्ही के कारण शायद आज पूरा भारत एकजुट भी है क्योंकि आजादी से पहले भारत में अलग-अलग रियासते होती थी.

सभी रियासते अलग-अलग जगह पर बिखरी हुई थी और उनको एकजुट करने में सरदार वल्लभभाई पटेल अहम भूमिका निभाई जब सत्याग्रह आंदोलन चल रहा था तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और उनकी सफलता के बाद ही उनको बहुत सारी महिलाओं ने एकजुट होकर. उनको सरदार की उपाधि दी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कई बड़े बड़े आंदोलनों में भी भाग लिया उनका पहला आंदोलन खेड़ा खंड था.

जोकि भयंकर सूखे की चपेट में आने वाले किसानों के लिए था क्योंकि उन दिनों गुजरात में सूखा पड़ा जिसके कारण किसानों को नाममात्र पैदा हुई लेकिन उन दिनों पर अंग्रेजों ने किसानों पर भारी कर लगा दिया और इस कर को किसान किसी हालत में चुका नहीं पाते.

इसीलिए उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और आंदोलन किए और इसी आंदोलन को खेड़ा खंड का नाम दिया गया जिसमें सरदार पटेल ने नेतृत्व किया और उनको इस आंदोलन में विजय प्राप्त हुई और अंग्रेज सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी और उनका 1 साल का कर माफ किया गया

जीवन परिचय

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात की नदियाल में हुआ था उनके पिता झावर भाई एक साधारण इंसान थे जिनकी 4 पुत्र थे उनकी माता का नाम लाड़ बाई था जो कि एक साधारण घरेलू महिला थी सरदार वल्लभ भाई पटेल को हमेशा से ही पढ़ने लिखने का शौक था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने पास के स्कूल से प्राप्त की थी.

सरदार वल्लभ पटेल ने 22 साल की उम्र में अपनी मैट्रिक पढ़ाई पूरी की इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड चले गए जंहा से उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की सरदार वल्लभभाई पटेल को पढ़ाई करते समय बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि उनको पढ़ाई के लिए जरूरतमंद चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं होती थी उनका परिवार एक साधारण परिवार था.

जिसकी आय इतनी नहीं थी कि सरदार पटेल को समय पर पुस्तकें व उनकी जरूरत की चीजें दी जा सके और सरदार वल्लभ भाई पटेल को उधार किताबें लेकर पढ़ना पड़ता था उन्होंने पढ़ाई के साथ कई जगह पर अलग-अलग छोटी नौकरी सरदार सरदार वल्लभभाई पटेल इंग्लैंड से वापस आकर एक प्रसिद्ध बेरिस्टर के रूप में कार्य करने लगे उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर अंग्रेजों के अत्याचारों पर आवाज उठाई.

उसी समय भारत की अलग-अलग जगहों से क्रांतिकारी उठने लगे और उन्हीं के साथ मिलकर सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी कई आंदोलन किए जिन्होंने भारत को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई सरदार वल्लभभाई पटेल ने मुख्य रूप से सत्याग्रह आंदोलन असहयोग आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन दांडी यात्रा बोरखेड़ा खंड जैसे आंदोलनों में मुख्य भूमिका निभाई और आंदोलनों की सफलता के कारण शायद भारत को आजादी मिली.

आजादी के बाद भी भारत के सामने कई अलग-अलग कठिनाइयां आई जिनमें सबसे बड़ी कठिनाई सभी रियासतों को भारत के साथ जोड़ना थी क्योंकि आजादी के समय भारत में कुल 560 से भी ज्यादा रियासते थी और इन सभी रियासतों को एकजुट करने में सरदार वल्लभ भाई पटेल का ही हाथ है क्योंकि उस समय जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद व जूनागढ़ के शासक भारत के साथ मिलने के लिए तैयार नहीं थे.

इन सभी के खिलाफ सरदार वल्लभभाई पटेल ने सैन्य बलों का इस्तेमाल करके सभी भारत में जोड़ा और उनके इसी काम की वजह से उनका नाम सबसे ज्यादा चर्चा में भी रहा.उनके महान कार्य के लिए उनकी विदेशों में अलग-अलग जगह पर चर्चा हुई उनकी तुलना दुनिया के महान बड़े-बड़े नेताओं से की जाने लगी अगर सरदार वल्लभभाई पटेल कुछ समय और रह जाते तो आज जो पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ लड़ाइयां चल रही है.

शायद वे कभी नहीं चलने देते वें सामने वाले को अपनी भाषा में समझाना जानते थे और वे सामने वाले के इरादों को उनके विचारों से ही समझ जाते हैं ऐसा भी माना जाता है कि सरदार वल्लभभाई पटेल और नेहरू के बीच में कभी जमती नहीं थी क्योंकि भले ही सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित थे और उनके साथ आंदोलनों में भी शामिल होते थे लेकिन वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचारों से संबंध नहीं रखते थे.

इन दोनों के बीच में बहुत अंतर था.सरदार वल्लभभाई पटेल हर समय महात्मा गांधी के साथ रहते थे और भी महात्मा गांधी के बहुत करीबी थी और जब महात्मा गांधी की मृत्यु की खबर सरदार वल्लभभाई पटेल को मिली तब उनको इस बात से सदमा लगा जिसके कारण कुछ समय बाद उनको हार्टअटैक का दौरा पड़ा इसके कारण कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई सरदार वल्लभ भाई पटेल का देहांत 15 दिसंबर 1950 को हुआ.

भारत में अपना एक लोहा पुरुष खो दिया लेकिन उनकी मृत्यु की बाद भी भारत सरकार ने उनके बलिदान को कभी नहीं भूला और 1991 में उनको इनके महान कार्यों के लिए भारत रतन का पुरस्कार दिया गया इसके अलावा 2013 में उनके जन्मदिवस की मौके पर गुजरात में उनकी सबसे बड़ी मूर्ति को बनाकर उनको सबसे बड़ा पुरस्कार दिया गया.

उनके नाम से स्टेचू ऑफ यूनिटी की प्रतिमा बनाई गई उनकी यह प्रतिमा भी भारत के साथ-साथ विदेशों में बहुत चर्चा में रही.हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए इस सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन परिचय के बारे में या जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरुर विजिट करें.

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