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महाराजा अग्रसेन कौन थे उनका जीवन परिचय

महाराजा अग्रसेन कौन थे उनका जीवन परिचय

एक समय ऐसा था जब पूरे भारत के ऊपर राजा राज करते थे सभी राजा अपने अपने राज्य को सुरक्षित और ज्यादा से ज्यादा सहायता प्रदान करवाते थे ताकि उनकी प्रजा को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो लेकिन कुछ राजा ऐसे भी होते थे जो अपनी प्रजा के ऊपर अत्याचार करते थे उनमें से ज्यादातर मुस्लिम शासक ही ऐसे थे जो कि अपनी प्रजा के प्रति इतना लगाव नहीं रखते थे .

भारत में कुछ ऐसे राजा हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया उन्होंने अपनी प्रजा के लिए अपना धन दौलत और सभी सुख सुविधाएं छोड़कर छोड़ दी इसीलिए उन राजाओं को आज भी हमारे देश के लोग याद करते हैं और उनके जन्म दिवस को मनाते हैं और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को सराहा जाता है कुछ ऐसे राजा भी थे.

जिन्होंने अपने जीवन में समाज की बुराइयों को मिटाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया क्योंकि प्राचीन समय में हमारे समाज में कई अलग-अलग बुरी प्रथा चलती थी.जिसमे सती प्रथा, बाल विवाह जैसी खतरनाक प्रथा शामिल है इन सभी प्रथाओं को समय के साथ साथ खत्म कर दिया गया और यह सभी बुरी प्रथाएं किसी एक वर्ग या किसी एक समाज के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती थी.

इसी तरह से प्राचीन समय में पशुओं की बलि की भी एक ऐसी ही बुरी प्रथा होती थी जिसको महाराजा अग्रसेन नाम के एक बहुत ही दयालु राजा ने खत्म किया और इसीलिए महाराजा अग्रसेन को आज भी लोग उनके कार्यों के लिए याद करते हैं आप में से बहुत सारे लोगों ने महाराजा अग्रसेन के बारे में जरूर सुना होगा.

लेकिन आप में से बहुत सारे लोग ऐसे भी होंगे जिनको महाराजा अग्रसेन के बारे में इतना ज्यादा जानकारी नहीं है तो इस ब्लॉग में हम आपको महाराजा अग्रसेन के पूरे जीवन परिचय और उनके नेक कार्यों के बारे में बताने वाले हैं.

महाराजा अग्रसेन

एक समय ऐसा था जब पूरे भारत में हिंदू राजाओं का राज होता था और सभी हिंदू राजा अपने-अपने राज्यों में शासन करते थे लेकिन फिर एक समय ऐसा आया जब बाहरी शासकों ने भारत के ऊपर आक्रमण किया और भारत के कई हिस्सों को अपने कब्जे में ले लिया और उनके ऊपर कई वर्षों तक शासन किया लेकिन जब बाहरी शासक भारत में आए तब उन्होंने कुछ ऐसी प्रथा को समाप्त की किया जो कि समाज के लिए बुरी थी.

लेकिन उनके आने से प्रजा के ऊपर बहुत बुरा असर पड़ा क्योंकि कई शासक बहुत ही अत्याचारी शासक थे लेकिन भारत में एक महाराजा अग्रसेन नाम के शासक ने जन्म लिया जो कि जन्म से ही एक बहुत ही दयालु और नरम दिल के इंसान थे वे हमेशा अपनी प्रजा को सुरक्षा प्रदान करते थे.वे किसी भी प्राणी जीव जंतु जानवर या किसी भी इंसान को कभी दुख नहीं पहुंचाना चाहते थे.

उन्होंने समाज की बहुत सारी बुराइयों को दूर भी किया और उन्ही में से बलि प्रथा भी एक ऐसी ही बुराई की जिसको महाराजा अग्रसेन ने बहुत हद तक कम किया क्योंकि आप सभी को पता होगा कि इस संसार में सभी को खुलकर जीने की आजादी होती है लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि अपने स्वार्थ के लिए निर्दोष जानवरों व पक्षियों की हत्या करते हैं बलि प्रथा भी एक ऐसी ही प्रथा थी जो कि लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी जानवर की बलि देते थे.

लेकिन महाराजा अग्रसेन को यह प्रथा बिल्कुल भी पसंद नहीं थी.इसीलिए महाराजा अग्रसेन ने इस प्रथा का खुलकर विरोध किया और इस प्रथा को जड़ से खत्म करने में मदद की महाराजा अग्रसेन अपनी प्रजा के लिए हर एक नेक कार्य करने में आगे रहते थे अपनी प्रजा को किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देना चाहते थे महाराजा अग्रसेन को एक युगपुरुष महादानी दयालु राजा समझा जाता है.

इसीलिए महाराजा अग्रसेन को उनके राज्य की प्रजा भी बहुत प्यार करती थी और वह हमेशा महाराजा अग्रसेन का आदर सत्कार करते थे.

महाराजा अग्रसेन का जन्म

महाराजा अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंत और कलयुग की शुरुआत में हुआ था जब महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ तब उनके जन्म को बहुत ही धूमधाम से मनाया गया महाराजा अग्रसेन का जन्म विक्रम संवत आरंभ होने से 3130 वर्ष पूर्व अर्थात ( 3130+ संवत 2073) याने आज से 5203 वर्ष पूर्व हुआ महाराजा अग्रसेन की है पिता का नाम अग्रसेन था और उनकी माता का नाम रानी भगवती था राजा बल्लभ प्रताप अग्रसेन एक सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के राजा थे.

महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन में दो शादियां की उनकी पहली पत्नी का नाम माधवी और दूसरी पत्नी का नाम सुंदरम अति था महाराजा अग्रसेन की कुल 18 पुत्र थे और उन्हें 18 पुत्रों के नाम पर आज अग्रसेन समाज के अलग-अलग गोत्र भी हैं जिनके नाम ऐरन ,बंसल ,बिंदल ,भंदल ,धारण ,गर्ग ,गोयल ,गोयन ,जिंदल ,कंसल ,कुच्छल ,मधुकुल ,मंगल ,मित्तल ,नागल ,सिंघल ,तायल , तिंगल प्रकार हैं.

ऐसा माना जाता है कि जब महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ तब उनके पिता को उस समय के महान गर्ग ऋषि ने कहा था कि महाराजा अग्रसेन आगे चलकर एक बहुत बड़े शासक बनेंगे उनके शासनकाल में प्रजा को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचेगी और वह अपनी प्रजा के एक चहेते शासक होंगे उनके शासनकाल में राज्य में नए शासनकाल का उदय होगा और उनकी प्रजा हमेशा प्यार करेगी.

उनका राज्य और उनकी नीतियों को दुनिया हमेशा याद रखेगी और महान गर्ग ऋषि की यही बात सच भी साबित हुई महाराजा अग्रसेन अपनी प्रजा के लिए एक करुणामई और दयालु शासक बने उन्होंने अपनी प्रजा के लिए हमेशा अच्छे कार्य किए वे सुख और भलाई के लिए कार्य करते थे इसके अलावा वे किसी को भी दुख दर्द नहीं देते थे महाराजा अग्रसेन हमेशा पशु पक्षी जानवरों को भी इस सृष्टि का हिस्सा मानते थे.

वे कहते थे जिस तरह से इस धरती के ऊपर इंसानों को रहने की आजादी है.उसी तरह से इन सभी प्राणियों को भी खुलकर जीने की आजादी है महाराजा अग्रसेन पूजा व मंदिर में दी जाने वली बलि को सही नहीं मानते थे और इसीलिए उन्होंने अपने धर्म क्षेत्रीय धर्म को त्याग कर वैश्य धर्म को अपना लिया और उन्होंने जानवरों की बलि को समाप्त करने की का निर्णय लिया और इसीलिए आज महाराजा अग्रसेन को याद किया जाता है.

नए राज्य की स्थापना

एक बार महाराजा अग्रसेन अपनी पत्नियों के साथ नई राज्य की स्थापना के लिए जाते हैं और महाराजा अग्रसेन नए राज्य की स्थापन के लिए पूरे भारत में भ्रमण करते हैं लेकिन जब महाराजा अग्रसेन हरियाणा राज्य के हिसार जिले के आसपास पहुंचते हैं तब उनको वहां पर एक शुभ संकेत मिलता है और उसी समय महाराजा अग्रसेन कहते हैं कि यह सभी संकेत बहादुरी एवं कर्मभूमि के संकेत हैं.

वहीं पर महाराजा अग्रसेन अपने नए राज्य की स्थापना करते हैं जिसका नाम अग्रोहा रखा जाता है अग्रोहा आज के समय में एक बहुत ही प्रचलित नाम है और यह हरियाणा राज्य के हिसार जिला के पास स्थित है यहां पर एक बहुत बड़ा विशाल माता लक्ष्मी का मंदिर भी है जहां पर लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं इसके अलावा भी इस जगह का तेजी से विकास हो रहा है.

यहां पर महाराजा अग्रसेन के नाम से एक बहुत बड़ा हॉस्पिटल, स्कूल जैसी चीजें भी है और मैं आपको बता देता हूं कि अगर वह हमारे यहां से लगभग 20 किलोमीटर के आसपास है इसके अलावा महाराजा अग्रसेन की दो शादियां होने के पीछे भी एक बहुत बड़ी कहानी है जिसके अनुसार इनकी दूसरी शादी को करने के पीछे उनके राज्य को किसी संकट से बचाना है इसीलिए उन्होंने दूसरी शादी की.

F&Q

Q. महाराजा अग्रसेन का जन्म कब हुआ
Ans. 3130+ संवत 2073( विक्रम संवत शुरु होने से करीब 3130 साल पहले)

Q. महाराजा अग्रसेन की माता पिता का क्या नाम था
Ans. पिता का नाम महाराजा वल्लभसेन व माता का नाम भगवती देवी था

Q. महाराजा अग्रसेन ने किस राज्य की स्थापना की
Ans. अग्रोहा

Q. महाराजा अग्रसेन की कितनी पत्नियां थी और उनका नाम क्या था
Ans. 2 पत्नियां थी पहली का नाम माधवी वह दूसरी का नाम सुंदरावती था

Q. महाराजा अग्रसेन की कुल कितने पुत्र थे
Ans. 18 पुत्र

Q. अग्रसेन में कुल कितने गोत्र हैं
Ans. 18 गोत्र जोकि महाराजा अग्रसेन की पुत्रो के नाम पर है

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए महाराजा अग्रसेन के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसे ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरुर विजिट करें.महाराजा अग्रसेन की वंशावली, महाराजा अग्रसेन का जन्म कब हुआ, महाराजा अग्रसेन जी का जन्म कब और कहां हुआ , महाराजा अग्रसेन जी के ससुर किस राज्य के शासक थे , महाराजा अग्रसेन जी के भाई का नाम क्या है.

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