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बहुमूत्रता क्या है इसके लक्षण कारण व उपचार

बहुमूत्रता क्या है इसके लक्षण कारण व उपचार

समय के साथ साथ जब हमारी उमर बढ़ती जाती है तब हमारे शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है लेकिन अगर हम उन समस्याओं के ऊपर ध्यान दें तो इनको आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनी छोटी-छोटी समस्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देते इसलिए आगे चलकर ये सभी समस्याएं हमारे शरीर में कई बीमारियों का कारण बन जाती है जिससे हमें बहुत परेशानी होती है इसी तरह से एक समस्या बहुमूत्रता भी है जो कि एक खतरनाक बीमारी है क्योंकि इस समस्या से मनुष्य के शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिससे उसको अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है तो आज के इस ब्लॉग में हम इसी बीमारी के बारे में विस्तार से बातें करने वाले है.

बहुमूत्रता क्या है

पहले हम बात करते हैं की बहुमूत्रता क्या होती है बहुमूत्रता ऐसी समस्या है इसमें रोगी को बहुत मात्रा में बार-बार पेशाब आता है जिससे रोगी के शरीर में पानी की भी कमी हो सकती है और यह समस्या ज्यादातर वृद्धों में देखी जाती है जब किसी यह समस्या को उत्पन्न होती है तब रोगी 1 दिन में लगभग 5 से 10 लीटर के बीच पेशाब करता है.

जिसमें ने तो शर्करा होता है और ना ही एल्ब्यूमिन होता है और जब कोई इंसान लगातार ज्यादा मात्रा में पेशाब करता है तब उसके शरीर से खाद्य पदार्थों के पोषक तत्व बाहर निकल जाते हैं और रोगी का शरीर बिल्कुल कमजोर हो जाता है इसके अलावा रोगी के शरीर में कई और समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती है जैसे मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्लैंड और किडनी में भी विकार उत्पन्न होना और यह रोग पुरुषों में ज्यादा होता है.

बहुमूत्रता के कारण

अगर इस समस्या के उत्पन्न होने के कारण के बारे में बात की जाए तो मुख्य रूप से इस समस्या के उत्पन्न होने के बहुत सारे कारण हैं जैसे दूध का अधिक सेवन करना, ज्यादा शारीरिक परिश्रम करना, ज्यादा चाय, शराब, कॉफी, पानी का सेवन करना, दिन में अधिक सोना, मांस का सेवन करना, मानसिक अशांति होना, मानसिक आघात होना, अधिक चिंता, क्रोध व मानसिक तनाव रखना, शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होना व पोटेशियम की मात्रा कम होना.

इसके अलावा पीयूष ग्रंथि के पश्च भाग के मूत्र निरोधी हार्मोन की कमी, गुर्दो की सूजन, प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना, मधुमेह (डायबिटीज इंसीपीडस), हाइपरप्राथायरायडिज्म, मूत्र संस्थान की टी.बी., हिस्टीरिया, मस्तिष्कावरण शोथ, पिट्यूटरी ग्लैंड की विकृति, मिर्गी आना, नाड़ी उत्तेजना होना, ज्यादा शारीरिक संबंध बनाना, ये कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे यह समस्या आसानी से उत्पन्न हो जाती है.

बहुमूत्रता के लक्षण

अगर इस समस्या के लक्षणों के बारे में बात की जाए तो जब यह समस्या उत्पन्न होती है तब इसमें कई प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे बार-बार पेशाब आना, रात में ज्यादा पेशाब आना व दिन में पेशाब की मात्रा कम होना, ज्यादा चिड़चिड़ापन, थकावट, आलस व कमजोरी होना, नींद न आना, शारीरिक व मानसिक तनाव बढ़ना, शरीर अकड़ जाना, बार-बार प्यास लगना, कब्ज की समस्या उत्पन्न होना, अंगों की फड़कन होना, सिर व कमर दर्द होना, यह कुछ ऐसे लक्षण है जो कि इस समस्या में देखने को मिलते हैं.

क्या खाना चाहिए

जब यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उस इंसान को खाने पीने की चीजों के ऊपर भी ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि अगर आप इस समस्या में खाने पीने की चीजों पर कंट्रोल करेंगे तो इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं.

  • रोगी को सुबह-शाम भोजन में मसूर की दाल खानी चाहिए
  • फलों में हर रोज केला, आंवला, सेब और अंगूर खाने चाहिए
  • रोगी को हर रोज सोते समय एक कप दूध और दो से चार छुहारे खाकर सोना चाहिए
  • रोगी को गुड और तिल बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार खाने चाहिए
  • रोगी को प्यास लगे उतना ही पानी पीना चाहिए
  • रोगी को हर रोज भोजन में पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को हल्का व सुपाच्य भोजन करना चाहिए

क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा चाय कॉफी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को मास नमक व कैल्शियम युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को एक बार में ज्यादा मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए
  • रोगी को रात के समय चावल का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा चटपटे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मिठाई व चीनी युक्त भोज्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए

क्या करना चाहिए

  • रोगी को सुबह-सुबह हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए सैर आदि की आदत डालना चाहिए
  • रोगी को चिंता मुक्त व मानसिक तनाव से दूर रहना चाहिए
  • अगर यह समस्या तेजी से बढ़ रही है तो उसका पता लगाकर उसको दूर करने की कोशिश करनी चाहिए
  • रोगी को हल्के-फुल्के काम ही करना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए
  • रोगी को एक बार में ज्यादा पानी का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा कठोर परिश्रम नहीं करना चाहिए
  • रोगी को दिन में बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए
  • रोगी को हस्तमैथुन नहीं करना चाहिए

फिर भी अगर किसी को यह समस्या हो जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए .

बहुमूत्रता उपचार

Exercise करते Time हमारे शरीर में मौजूद गंदगी पसीने के साथ  बाहर निकल जाती  है। इसीलिए शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए Exercise करने वाले  अधिक पानी पीते हैं. जिस वजह से उन्हें बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है।लेकिन अगर Exercise नहीं करते तो आपक्प Exercise करनी चाहिए ताकि आपका पसीना आये और पसीना आएगा तो आपका मूत्र कम आएगा.

दो चम्मच अदरक का रस सुबह शाम सेवन करे जिससे रूका हुआ पेशाब जल्दी बाहर निकल जाता हैं और बार बार पेशाब आने की समस्या भी दूर होती हैं।और आंवले के पांच ग्राम रस में हल्दी मिला कर  और उसमें 5 ग्राम शहद मिलाकर पी ने से जरा-जरा सी देर में पेशाब का आना बंद हो जाता है।

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