सामान्य ज्ञान

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय

दुनिया में ऐसे बहुत सारे देश है जो कि एक दूसरे देशों की गुलाम रहे हैं लेकिन समय के साथ-साथ सभी देशों ने अपने ऊपर से गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया और अपने आप को आजाद किया भारत भी उन्हीं में से एक देश था जिसके ऊपर अंग्रेजों ने लगभग 200 साल तक राज किया भारत को गुलाम बनाकर अंग्रेजों ने ऐसे ऐसे अत्याचार किए जो कि शायद दुनिया में कोई भी इंसान सहन नहीं कर पाता.

भारत के अलावा भी अंग्रेजों ने दूसरे कई देशों को गुलाम बनाया था लेकिन समय के साथ-साथ लोगों में जागरूकता आई और सभी लोगों ने डटकर सामना किया और अपने देश को अत्याचारों से बचाने के लिए बहुत बड़ी बड़ी लड़ाइयां लड़ी भारत ने भी लगातार 200 साल तक लड़ाई लड़ने के बाद अंग्रेजों से अपनी आजादी छीनी और अपने देश से उनको भगाया लेकिन जब भी कोई देश किसी के खिलाफ लड़ाई लड़ता है.

तब उसमें उसके बहुत सारे सैनिक उसके क्रांतिकारी नेताओं व दूसरे लोगों का हाथ रहता है. इसी तरह से भारत की लड़ाई में भी बहुत बड़े बड़े महान देशभक्तों का हाथ रहा है जिन्होंने अपनी जान की कुर्बानी दी और अपने देश को आजाद कराया बहुत सारे ऐसे देश भक्त थे जिनके बारे में शायद हमने कभी सुना भी नहीं होगा और इस लड़ाई में बहुत सारे सैनिकों, जवानों व बहुत सारे नेताओं ने भी अपनी शहादत दी.

लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिनके बारे में हम जानते हैं क्योंकि लोगों ने अपने देश के लिए काम ही काम ही ऐसी किए हैं उन्हीं में से सुभाष चंद्र बोस भी एक ऐसी ही इंसान थी सुभाष चंद्र बोस के बारे में वैसे तो दुनिया में लगभग सभी लोग जानते हैं लेकिन उनके पूरे जीवन के बारे में शायद ही कोई इंसान जानता होगा तो इस ब्लॉग में हम आपको नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं

जीवन परिचय

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक के एक बंगाली परिवार में हुआ था उनके परिवार में उनके अलावा सात भाई और 6 बहने थी उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था जोकि पेशे से एक वकील थे उनकी माता का नाम प्रभावती का जो कि एक साधारण घरेलू महिला थी अपने परिवार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने भाई शरदचन्द्र के बहुत करीब थी.

वे अपने भाई से बहुत प्रभावित थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस पढ़ने लिखने में बहुत तेज थे और उनका पढ़ने लिखने में बहुत ज्यादा मन भी लगता था इसीलिए वे अपने अध्यापकों के भी बहुत करीब थे और सभी अध्यापक उनको बहुत प्यार करते थे हालांकि खेलने कूदने में सुभाष चंद्र बोस इतना ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते थे. उन्होंने अपने जीवन की शुरुआती शिक्षा कटक के ही पास के स्कूल से प्राप्त की.

इसके बाद भी आगे की पढ़ाई को जारी रखने के लिए कोलकाता चले गए जहां से जहां उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया वहां पर उन्होंने फिलोसोफी से B.A की शिक्षा ग्रहण की लेकिन जब वे प्रेसीडेंसी कॉलेज में b.a. की पढ़ाई कर रहे थे उसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफ़ेसर था जो कि भारतीय छात्रों को सताता था और यह बात सुभाष चंद्र बोस को पसंद नहीं आती थी.

इसीलिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस उस प्रोफ़ेसर का विरोध भी करते थे फिर वहां पर जातिवाद का भी विवाद हुआ और यहीं से सुभाष चंद्र बोस के मन में पहली बार अंग्रेजों के प्रति दोष उत्पन्न हुआ और उनके मन में अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने की ठानी

उसके बाद में सुभाष चंद्र बोस सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इंग्लैंड चले गए और वहां पर उन्होंने बहुत ही बढ़िया प्रदर्शन भी किया लेकिन वहां पर उन्होंने अपने देश के लिए अपनी सिविल सर्विस की नौकरी को भी छोड़ दिया क्योंकि वह अपने देश से बहुत प्रेम करते थे और वे अपने देश को आजाद कराना चाहते थे.

इसीलिए उनके मन में हर समय अपने देश की आजादी के लिए ख्याल उठते रहते थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे और वे हमेशा उनकी बातों का अनुसरण भी करते थे उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को जॉइन किया लेकिन उनका मुख्य मकसद भारत को अंग्रेजों से आजाद कराना था

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में रहते हुए मजदूर मजदूरों युवाओं व गरीबों के लिए कई ऐसे कार्य किए जिनसे वे गरीबों के मन में अपनी जगह बनाने लगे और यहीं से उनको लोग जाना ना भी शुरू हुए है जब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझ चुके थे कि यही सही समय है अंग्रेजों के ऊपर भारत को छोड़कर जाने का दबाव बनाया जा सके.

इसी लिए भी जर्मनी चले गए जहां पर उन्होंने एडोल्फ हिटलर से मुलाकात की एडोल्फ हिटलर वही इंसान था जिसका इंग्लैंड सबसे बड़ा दुश्मन था और इसी बात का फायदा भी सुभाष चंद्र बोस को मिला और इसीलिए उन दोनों ने मिलकर कई ऐसे कूटनीतिक और राजनीतिक फैसले लिए जो कि भारत को आजादी दिलाने में फायदेमंद साबित हुए फिर उसके बाद में भी जापान चले गए.

जहां पर उन्होंने आजाद हिंद फौज का निर्माण किया और वहीं पर उन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा भी दिया जो कि हर हिंदुस्तानी को अंग्रेजों के सामने खड़ा होने के लिए काफी था और यहीं से पूरे देश में क्रांति की आग उठी उसके बाद में 18 अगस्त 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ताइवान एक विमान दुर्घटना के साथ इस दुनिया को अलविदा कह कर गई.

सुभाष चंद्र बोस ने देश के लिए क्या किया

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि शायद जन्म ही अपने देश के लिए लेते हैं उनका हर एक सपना अपने देश के साथ शुरू होता है और अपने देश के साथ ही खत्म होता है वह एक सच्चे देशभक्त होते हैं और वे अपने देश के लिए जान ले भी सकते हैं और जान दे भी सकते हैं अगर उनके देश के ऊपर कोई भी आंच आती है तो भी कुछ भी कर जाने को तैयार रहते हैं उन्हीं में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी थे जो कि अपने देश से बहुत प्यार करते थे.

वे चाहते थे कि उनका देश जल्द से जल्द अंग्रेजों की गुलामी से बाहर आए और एक खुशहाल देश बने इसीलिए उन्होंने भारत की आजादी के लिए कई लड़ाई लड़ी और कई ऐसे कार्य किए जो कि भारत को आजादी दिलाने में फायदेमंद साबित हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने के लिए उत्सुक थे. यह हमारा देश का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे देश को आजाद कराने वाले बहुत सारे सेनानियों व नेताओं को हम नहीं जानते हैं.

क्योंकि भारत की आजादी की लड़ाई एक ऐसी लड़ाई की जो कि अंग्रेजों के साथ बहुत लंबे समय तक चली इस लड़ाई में समय के साथ-साथ बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगाई और उनमें से कुछ ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने सिर्फ अकेले दम पर अपने देश के लिए कुछ ऐसे बड़े कार्य किए जो कि आजादी को दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए.

शायद उन्हीं की वजह से हमारा देश आजाद हुआ उनमें से कई देशभक्त ऐसे थे जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए अंग्रेजों के साथ आंख में आंख मिलाकर लड़ाई लड़ी उन्हीं में से नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी एक ऐसे ही इंसान थे सुभाष चंद्र बोस एक बहुत ही बुद्धिमान इंसान थे उन्होंने भारत की आजादी के लिए जापान जाकर अपनी फौज का निर्माण किया

फिर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के साथ भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी  इसके अलावा भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी के लिए कार्य किए और इसी के कारण सुभाष चंद्र बोस आज हर एक हिंदुस्तानी के दिल में राज करते हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज के संस्थापक के रूप में जाना जाता है.

लेकिन आजाद हिंद फौज के निर्माण से पहले भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों के साथ लड़ाई करते रहे हैं लेकिन उनको एक बात जरूर समझ में आ गई थी कि अगर उन्होंने अपनी फौज तैयार नहीं की तो शायद भी अंग्रेजों से कभी नहीं लड़ पाएंगे इसीलिए उन्होंने जापान जाकर अपनी खुद की फौज बनाई.

ताकि दे वहां से अंग्रेजों के ऊपर आक्रमण कर सके और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपनी फौज के निर्माण से पहले भी बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा

Faq

Q. सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब और कहां हुआ
Ans. 23 जनवरी 18 मई में उड़ीसा के कटक में

Q.सुभाष चंद्र बोस की माता और पिता का क्या नाम था
Ans. पिता का नाम जानकीनाथ बोस तथा माता का नाम प्रभावती था

Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कौन सा नारा दिया
Ans. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा

Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन कब हुआ
Ans. 18 अगस्त 1945 को ताइवान में

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताए गए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.

 

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