सफेद मोतियाबिंद क्या है इसके कारण लक्षण बचाव व उपचार
हमारे लिए हमारी आंखों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि आंखें हमारे लिए सब कुछ होती है बिना आंखों के हमारा दिन और रात एक जैसी हो जाती है इसलिए हमारी आंखों को धूल मिट्टी संक्रमण चोट और बीमारियों से बचाना हमारे कर्तव्य होता है लेकिन फिर भी कई बार हमारी आंखों में कई बीमारियां व संक्रमण उत्पन्न हो जाते हैं.
जिनसे बहुत बार मरीज की आंखें ख़त्म हो जाती है और उसे दिखाई देना बंद हो जाता है तो इसी तरह से सफेद मोतियाबिंद भी ऐसी ही बीमारी है जिससे रोगी को दिखाई देना बंद हो जाता है और उसकी आंख नष्ट हो जाती है
लेकिन अगर इस बीमारी के ऊपर समय रहते ध्यान दिया जाए तो इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है तो इस ब्लॉग में हम इसी समस्या के कारण लक्षण बचाव उपचार आदि के बारे में बात करने वाले हैं
सफेद मोतियाबिंद क्या है
What is white cataract in Hindi – जैसे जैसे हमारी आयु बढ़ती है वैसे ही हमारी आयु के साथ-साथ हमारे शरीर के लगभग सभी अंग कमजोर होते जाते हैं जब कोई इंसान 50 वर्ष से ऊपर की आयु का हो जाता है तो उसके शरीर के लगभग सभी अंग धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं तो उसी तरह से हमारी आंखें भी कमजोर होने लगती है.
वैसे तो हमारी आंख का लेंस बिना किसी रक्त वाहिनी की बने होते है इसलिए इस लेंस में कभी संक्रमण नहीं होता लेकिन हमारी आंख के लेंस कई बार धुंधले होने लगते हैं और उनके ऊपर एक सफेद रंग का पर्दा आ जाता है
जिससे हमारी पूरी आंख एक जैसी सफेद दिखाई देती है. रोगी को शुरू में इस समस्या से धुंधला दिखाई देता है वह धीरे-धीरे बाद में पूरे लेंस के ऊपर पर्दा छाने से दिखाई देना बंद हो जाता है.
और जब हमारी आंख के पूरे लेंस के ऊपर सफेद रंग का पर्दा आता है तब उसमें एक सफेद धब्बा दिखाई देता है और इसी को मोतियाबिंद कहा जाता है हमारी आंख का ज्यादातर भाग पानी व प्रोटीन से बना होता है जिसमें प्रोटीन का काम हमारी आंख के लेंस को साफ रखना होता है
जिससे हमारी आंखें बिल्कुल साफ देख सके मोतियाबिंद रोग कई तरह का होता है. जैसे परमाणु मोतियाबिंद, कॉर्टिकल मोतियाबिंद , जन्मजात मोतियाबिंद, चोट से उत्पन्न मोतियाबिंद, पॉस्टीरियर सबकैप्स्यूलर मोतियाबिंद आदि
कारण
वैसे तो एक रिपोर्ट के मुताबिक सफेद मोतियाबिंद की समस्या उत्पन्न होने के पीछे बढ़ती हुई उम्र का ही हाथ होता है लेकिन कई बार यह समस्या हमारी किसी गलती या किसी अन्य चीज के आंख में गिर जाने या चोट लगने के कारण भी उत्पन्न हो सकती हैं.
लेकिन इसके अलावा भी इस समस्या के पीछे कई और कारण हो सकते हैं जैसे रोगी के शरीर में पानी व प्रोटीन की कमी होना, रोगी के शरीर में विटामिन की कमी होना, रोगी का मधुमेह रोग से ग्रस्त होना, रोगी के शरीर में उच्च रक्तचाप होना, रोगी को त्वचा से संबंधित रोग होना, रोगी को किसी केमिकल या किसी अन्य चीज से एलर्जी होना,
रोगी का ज्यादा अंधेरे में ज्यादा तेज लाइट वाले स्थान पर काम करना, रोगी का धूल मिट्टी वाले क्षेत्र में काम करना, रोगी की आंख में किसी चीज का गिरना, रोगी की आंख में कोई केमिकल या दवाई चली जाना, रोगी की आंख में चोट लगना, रोगी की आंख में संक्रमण होना,
रोगी का किसी धुएं वाली फैक्ट्री व केमिकल आदि की फैक्ट्री में काम करना, रोगी की का ज्यादा तेज गर्मी वाले क्षेत्र में काम करना इस समस्या के कारण हो सकते हैं लेकिन चिकित्सक विज्ञान में अभी तक इस रोग का कोई सटीक कारण नहीं मिला है
लक्षण
अगर इस समस्या के लक्षणों के बारे में बात की जाए तो इस समस्या के उत्पन्न होने से पहले भी रोगी में कई लक्षण दिखाई देते हैं जिनको रोगी आसानी से पहचान सकता है जैसे रोगी को शुरू शुरू में दूर से दिखाई देना बंद होना, रोगी को शुरू में धुंधला दिखाई देना, रोगी की आंखों में जाला आना,
रोगी को एकदम से अंधेरी आना, रोगी को रात के समय में दिखाई ना देना, रोगी को धीरे धीरे नजदीक की चीजें भी दिखाई देना बंद होना,रोगी को टीवी मोबाइल आदि में देखते समय दिखाई नहीं देना रोगी की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे बिल्कुल चली जाना, रोगी की आंख के पीछे की पुतली में दर्द होना, रोगी के सिर में दर्द रहना,
रोगी की आंखों में पानी आना, रोगी को आंखों में झुनझुनाहट होना, रोगी की आंख के लेंस पर सफेद दाना दिखाई देना, रोगी की आंख धीरे-धीरे बिल्कुल सफेद हो जाना, रोगी की आंख के ऊपर लाइट वह रोशनी लगने पर बिल्कुल सफेद दिखाई देना आदि इस समस्या के मुख्य लक्षण होते हैं
बचाव
- रोगी को बाइक वह स्कूटर आदि चलाते समय चश्मा व हेलमेट लगाना चाहिए
- रोगी को धूल मिट्टी वाले एरिया में जाने से पहले अपनी आंखें ढक लेनी चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को केमिकल व दवाइयों आदि से बचाकर रखना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों के ऊपर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए
- रोगी को तेज रोशनी से बच कर रहना चाहिए
- रोगी को सुबह-सुबह अपनी आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों को गंदे हाथों में गंदे कपड़े आदि से साफ नहीं करना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों में कुछ गिर जाने या चोट लग जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
- रोगी को अपनी आंखों में जरा सी भी तकलीफ दिखाई देने पर अपनी आंखों का टेस्ट करवाना चाहिए
उपचार
अगर किसी रोगी की आंख में यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उसको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस समस्या को इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है अगर आपकी आंख में इस समस्या के शुरुआती लक्षण है तब आपकी आंखों में दवाइयों के सहारे इस समस्या को ठीक किया जाता है और आपको चश्मे आदि दिए जाते हैं जिससे आपको सही दिखाई देने लगता है
और आपकी आंखों के ऊपर कम दबाव पड़ता है लेकिन अगर किसी रोगी की आंख यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तब उसकी आंख से ऑपरेशन के द्वारा सफेद मोतिया को हटा दिया जाता है और उसकी जगह पर नए लेंस को डाल दिया जाता है जिससे रोगी को बिल्कुल सही दिखाई देता है
लेकिन दोस्तों मेरी आप को यही सलाह है कि इस समस्या को हल्के में बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए और इस समस्या के शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से अपनी आंखों के टेस्ट करवाने चाहिए क्योंकि धीरे-धीरे यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है
और कई बार इस समस्या का समय पर इलाज न होने से हमारी आंखों की पुतली भी कमजोर हो जाती है जिससे आपकी जैसी आपकी आंखों की रोशनी ऑपरेशन के द्वारा भी वापस नहीं आती
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