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श्वेत प्रदर क्या है श्वेत प्रदर की आयुर्वेदिक औषधि

श्वेत प्रदर क्या है श्वेत प्रदर की आयुर्वेदिक औषधि

कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो कि हमें सभी के अंदर देखने को मिलती हैं और ये सभी बीमारियां महिला, पुरुष, बूढ़े, जवान और बच्चों में लगभग एक ही तरीके से होती है लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां होती है जो कि सिर्फ महिलाओं में ही देखी जाती है और ये बीमारियां बहुत ही खतरनाक होती हैं वैसे तो लगभग सभी बीमारियां खतरनाक ही होती है लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी जगह पर होती है जो कि हमें ज्यादा परेशानी देती है.

इनके बारे में हम किसी को खुलकर बता भी नहीं पाते इसी तरह की एक बीमारी श्वेत प्रदर भी है जो कि महिलाओं में उत्पन्न होती है और यह बीमारी एक स्वस्थ और सुंदर महिलाओं को बिल्कुल कमजोर बना देती है इस बीमारी के कारण महिलाएं बहुत परेशान होती है क्योंकि यह बीमारी महिलाओं की योनि के अंदर होती है जिसके बारे में महिलाएं खुलकर किसी को बता भी नहीं पाती तो आज के इस ब्लॉग में हम इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे कि श्वेत प्रदर बीमारी क्या होती है यह कैसे उत्पन्न होती है और इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.

श्वेत प्रदर क्या है

पहले हम बात करेंगे कि आखिरकार श्वेत प्रदर बीमारी क्या होती है श्वेत प्रदर बीमारी एक स्वस्थ महिला की दुश्मन होती है क्योंकि यह बीमारी आजकल की लगभग 80% महिलाओं में होती हैं और इस बीमारी के कारण बहुत सी महिलाएं परेशान रहती है जब एक स्वस्थ महिला की योनि को शुष्क होने और जीवाणुओं के प्रकोप से बचाने के लिए ग्रंथियों से कुछ न कुछ स्राव होता रहता है जिसमें लैक्टिक एसिड भी मौजूद होता है .

जब यह स्राव योनि से ज्यादा मात्रा में होने लगता है तब उस स्थिति को श्वेत प्रदर रोग के नाम से जाना जाता है इस अवस्था में योनि मार्ग से होने वाले स्राव अक्सर लाल या पीला होता है और यह स्राव लगभग 11 से 12 वर्ष की आयु से शुरू हो जाता है और यह कम से कम 50 से 52 वर्ष की आयु तक की महिलाओं में होता है

श्वेत प्रदर के कारण

वैसे तो महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इनमें से कुछ मुख्य कारण होते हैं जैसे कि योनि का साफ स्वस्थ न होना, योनि मार्ग में सूजन होना, ज्यादा अधिक शारीरिक संबंध बनाना, गर्भाशय भ्रंश, गर्भाशय मुख या ग्रीवा की सूजन उत्पन्न होना, योनि के अंदर फोड़े फुंसी होना, अनियमित समय पर मासिक स्त्राव होना, ज्यादा अधिक कठोर कार्य करना, मूत्राशय में सूजन पैदा होना, पुरुषों का सिफलिस, गोनोरिया से पीड़ित होना, गलत आहार-विहार करना, कामवेग का तीव्र संचार, अश्लील बुक व स्टोरी आदि पढ़ना, पोर्न फिल्म देखना, शारीरिक संतुष्टि न मिलना, नमकीन, चटपटा तेज मिर्च मसाले युक्त व खटाई युक्त पदार्थों का ज्यादा सेवन करना, ज्यादा तली भुनी हुई चीजों का सेवन करना, ज्यादा उत्तेजक पदार्थ जैसे चाय ,शराब आदि का सेवन करना, धूम्रपान करना, जिगर व गुर्दे में विकार उत्पन्न होना, तनावग्रस्त व चिंता युक्त होना यह कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे महिलाओं में यह रोग उत्पन्न हो सकता है

श्वेत प्रदर रोग के लक्षण

जिस तरह से इस रोग के उत्पन्न होने की कई कारण होते हैं वैसे ही जब यह रोग उत्पन्न होता है तो इसके कई लक्षण भी दिखाई देते हैं जिनमें से कुछ मुख्य लक्षण हैं जैसे यह रोग होने के बाद महिला के चेहरे की रौनक गायब हो जाती है और उसका सौंदर्य धीरे-धीरे खत्म होने लगता है उसको चिड़चिड़ापन व आलस रहने लगता है.

इसके अलावा उसमें बेचैनी, उदासी, कमजोरी, त्वचा पर झुर्रियां दिखने लगेगी है उस महिला के सिर में दर्द व पैरों में भारीपन रहने लगेगा कमर व हाथ पैर के जोड़ों में दर्द महसूस होगा, हाथ पैरों में जलन रहने लगेगी, सिर में जकड़न महसूस होगी, आंखों के सामने अंधेरा रहने लगेगा ,सिर में चक्कर आने लगेंगे व भूख कम लगने लगेगी, योनि में जलन होने लगेगी इसके अलावा स्राव होने से कपड़ों में दाग दिखाई देंगे

क्या-क्या खाना चाहिए

अगर किसी महिला में सफेद प्रदर रोग की समस्या हो जाती है तब उसे खान-पान का भी बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि यह रोग गलत आहार-विहार के कारण भी पैदा हो सकता है

  • नियमित रूप से खाना खाना चाहिए व संतुलित और हल्का भोजन करना चाहिए
  • गेहूं के आटे की बनी हुई रोटी, चावल का मांड, दलिया, छिलके वाली मूंग की दाल, सिंघाड़े के आटे का हलवा, मसूर की दाल, व गजक का सेवन करना चाहिए
  • पके हुए केले की दूध से बनी हुई खीर और कच्चे केले की सब्जी बनाकर खाने चाहिए
  • पीड़ित को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जी का सेवन करना चाहिए जैसे मेथी, मूली, बथुआ, पालक, गाजर, भिंडी आदि
  • फलों में केला आंवला, नारंगी, सेब, टमाटर, फालसा, नाशपाती का सेवन करना चाहिए
  • पीड़ित को मक्खन की खीर, शुद्ध घी, दूध, खजूर का भी सेवन करना चाहिए

क्या नहीं खाना चाहिए

  • ज्यादा मिर्च मसालेदार व तले भुने हुए भोजन से परहेज करना चाहिए
  • पीड़ित को चना का बेसन, अचार, खटाई, लाल मिर्च और मैदे से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • पीड़ित को अरहर की दाल, अरबी, करेला, बैंगन, आलू और प्याज आदि की सब्जी नहीं खानी चाहिए
  • ज्यादा उत्तेजक पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे कड़क चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू आदि

क्या क्या करें

अगर किसी महिला को श्वेत प्रदर रोग हो जाता है तो उस अवस्था में उस महिला को किन-किन चीजों से परहेज करना चाहिए और कौन-कौन सी चीजें करनी चाहिए

  • महिला को योनि की सफाई नियमित रूप से करनी चाहिए
  • सुबह-शाम बाहर खुली हवा में घूमने जाना चाहिए
  • हर रोज हल्का-फुल्का व्यायाम करना चाहिए
  • पारिवारिक क्रोध चिंता से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए
  • ज्यादा से ज्यादा धार्मिक व साहित्यिक किताबों को पढ़ना चाहिए
  • अनियमित मासिक स्त्राव होने या योनि में संक्रमण या सूजन होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
  • अपनी योनि की जांच महिला डॉक्टर से ही करवानी चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • ज्यादा देर तक दिन में नहीं सोना चाहिए
  • ज्यादा अधिक शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए
  • ज्यादा उत्तेजित सॉन्ग मूवी आदि नहीं देखनी चाहिए
  • ज्यादा अधिक कठोर कार्य नहीं करना चाहिए
  • ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहना चाहिए या फिर साइकिल घुड़सवारी आदि नहीं करनी चाहिए
  • टेरीलिन, नॉयलोन जैसे सिंथेटिक आंतरिक वस्त्र न पहनें।

श्वेत प्रदर की आयुर्वेदिक औषधि

फिर भी किसी महिला को अगर यह रोग हो जाता है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और अपनी योनि की अच्छे से जांच करवानी चाहिए लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसी दवाइयां भी हैं जिनको आप इस रोग के शुरुआत में इस्तेमाल करके इस से छुटकारा पा सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी दवाइयों का अब डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं.

  • हिमालया टेबलेट ल्यूकोल- 1-2 गोली दिन में 3 बार दें।
  • वैद्यनाथ टेबलेट ल्यूकोनिल – 2 गोली दिन में 2-3 बार दें। ल्यको तथा रक्ताल्पता की अवस्था में लाभकारी है।
  • यूनिवर्सल टेबलेट ल्यूकोनिल – 2 गोली दिन में 3 बार 6 सप्ताह तक सेवन करायें।
  • अजमेरा फेमलिन टेबलेट – 2 गोली दिन में 2-3 बार दूध या पानी के साथ रोगिणी को सेवन करायें।
  • INMP आरोमागेन-एफ कैपसूल- 2 कैपसूल दिन में 3 बार 5 दिनों तक। योनि के अन्दर पहले दिन एक सुबह एक रात को सोते समय पेसरी रखें। अगले दिन से एक पेसरी रात को सोते समय योनि में रखें।
  • वेदान्त इवीक्योर टेबलेट 2-3 गोली दिन में 2-3 बार दें।
  • फाइटो फेमीगोन कैपसूल 2-2 कैपसूल दिन में 3 बार दें। ल्यूकोरिया तथा एक्सिस वैजाइनल सैक्रेशन में उपयोगी है।
  • महर्षि ल्यूकोमेप कैपसूल – 1-2 कैपसूल दिन में 2 बार दें। नॉन स्पेसिफिक ल्यूकोरिया, कमर दर्द में उपयोगी है।

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