शीतपित्त बीमारी क्या है शीतपित्त के लक्षण आयुर्वेदिक उपचार
Urticaria in Hindi : आज के समय में दुनिया में बहुत सारी खतरनाक बीमारियां फैली हुई है ये बीमारियां जिस भी इंसान को लग जाती है उससे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन होता है और कई बार इन खतरनाक बीमारियों के चलते उस इंसान की जान भी चली जाती है लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां भी होती है जो कि लगभग हर इंसान में कभी ना कभी जरूर उत्पन्न होती है वैसे तो यह बीमारियां इतनी ज्यादा खतरनाक नहीं होती’
लेकिन ये बीमारियां एक बार किसी इंसान के शरीर में जन्म ले लेती है तब उसको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उस आदमी को इन बीमारियों से बहुत सारी बहुत दिक्कत होती है इसी तरह से शीतपित्त नाम की भी बीमारी है जो कि एक साधारण बीमारी है और यह लगभग हर दूसरे इंसान के अंदर उत्पन्न हो जाती है यह बीमारी एक बार उत्पन्न होने के कारण उस इंसान को बहुत परेशानी पैदा करती है तो आज इस ब्लॉग में हम शीतपित्त बीमारी उत्पन्न होने के कारण, इसके बचने के तरीके और इसके इलाज आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
शीतपित्त बीमारी क्या है
सबसे पहले हम बात करते हैं कि आखिरकार शीतपित्त बीमारी क्या होती है और यह कैसे उत्पन्न होती है शीतपित्त एक ऐसी बीमारी है जो कि आमतौर पर लगभग कभी ना कभी हर व्यक्ति को हो जाती है शीतपित्त बीमारी होने से उस इंसान की त्वचा के ऊपर एक रसायन हिस्टामिन निकलने लगता है जिसके कारण शरीर पर अपने आप गोलाकार गुलाबी, लाल रंग की चकत्ते उत्पन्न हो जाती है इनमें तेज खुजली, जलन और पीड़ा होती है कई बार इनके उत्पन्न होने से त्वचा सूजन भी आ जाती है और यह बीमारी अक्सर वयस्कों में ज्यादा होती है जो कि तीन-चार दिन के बाद अपने आप ठीक भी हो जाती है
शीतपित्त उत्पन्न होने के कारण
वैसे तो यह बीमारी उत्पन्न होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसे मुख्य कारण होते हैं जैसे कि शरीर पर मच्छर, मक्खी ,खटमल, पिशु जैसे छोटे कीटाणुओं का काट लेना, पेट में कीड़े होना, भावनात्मक कारण, शरीर में पित्त की ज्यादा मात्रा होना, ज्यादा उत्तेजक व अधिक गरम पदार्थों का लगातार सेवन करने से, रक्त की उष्णता, सड़ी बासी चीजों को खा लेना, पाचन क्रिया में दिक्कत आना, कब्ज की बीमारी रहना, अजीर्ण होना, शरीर गर्म होने के बाद ठंडा पानी पी लेना, ज्यादा अधिक खट्टी चीजों का सेवन करना, किसी एलर्जी वाली चीज का सेवन करना, बे-मौसमी भोजन का सेवन करना और ठंडा लगने के कारण शीतपित्त की बीमारी उत्पन्न हो सकती है
शीतपित्त के लक्षण
जिस तरह से मैंने आपको ऊपर बताया कि इस बीमारी के बहुत सारे कारण होते हैं उसी तरह से इस बीमारी के पैदा होने के पहले आपको कुछ लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे कि
जब किसी इंसान के शरीर में शीतपित्त का रोग उत्पन्न होता है तब उसकी त्वचा के ऊपर लाल व गुलाबी रंग के चकत्ते नजर आएंगे और कई बार इनके तेज खुजली, जलन व दर्द होगा त्वचा के ऊपर ज्यादा चकते होने के कारण त्वचा में सूजन भी आ सकती हैं जब यह रोग उत्पन्न होता है उस दौरान बहुत तेज बुखार भी हो सकता है इसके अलावा एवं वमन व अतिसार भी हो सकता है अगर आप उन चकत्तों को खुजाते हैं तब उनका आकार बढ़ भी सकता है .
यह चकते आपस में एक दूसरे से मिल सकते हैं जब यह चकते उत्पन्न होते हैं तब इनको आप त्वचा के ऊपर आसानी से देख भी सकते हैं या शरीर में महसूस भी कर सकते हैं कभी-कभी इनके अंदर पानी भी भरा जाता है यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जो कि शीत पित्त रोग उत्पन्न होने से पहले या उत्पन्न हो जाने पर आपको देखने को मिलते हैं
क्या खाना चाहिए
शीतपित्त की बीमारी होने के बाद किन किन चीजों को खाना चाहिए और किन किन चीजों को खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह एक एलर्जी जैसी बीमारी होती है जो कि आपकी गलत चीजों के खाने के कारण बढ़ भी सकती है
- आपको हमेशा हल्का व संतुलित आहार खाना चाहिए
- आपको चोकर युक्त बनी आटे की रोटी और मूंग की दाल का सेवन करना चाहिए
- आपको ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों और मीठे फल आदि का सेवन करना चाहिए
- आपको हमेशा दूध, दही, घी, शहद, चने और प्याज आदि का सेवन करना चाहिए
- आपको काली मिर्च को पीसकर घी में मिलाकर खाना चाहिए
- पानी में नींबू निचोड़ कर सुबह शाम पीना चाहिए
क्या क्या नहीं खाना चाहिए
- आपको ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे चाय, कॉफी, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि
- ज्यादा मिर्च में मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- ज्यादा तली भुनी हुई चीजों और चटपटी व खटाई युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
- ज्यादा बे-मौसमी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- आपको बासी भोजन का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
क्या करें
अगर आपको शीतपित्त की बीमारी हो जाती है तब आपको उस दौरान किन किन चीजों को करने से बचना चाहिए और क्या-क्या चीजें करनी चाहिए इसके ऊपर भी आपको ध्यान देना बहुत ही जरूरी है
- आपको ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए
- जिनको ज्यादा ठंडे पानी से स्नान करने में दिक्कत होती है वह गुनगुने पानी में नीम का काढ़ा बनाकर या नींबू का रस मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं
- रोग उत्पन्न होने के मूल कारणों से बचना चाहिए
- अगर आपको कब्ज है तो उसको दूर करें एनिमा लगाएं
- आपको हर रोज़ शहद के साथ आधा चम्मच हलदी सेवन करें
- नीम के तेल में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर चकत्तों पर लगाएं
क्या न करें
- आपको ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- अचानक ठंडे से गर्म और गर्म से ठंडे वातावरण में न जाएं।
- चकत्तों को नाखूनों से खुजलाना नहीं करना चाहिए
- ज्यादा गन्दी जगह में काम नहीं करना चाहिए
- ज्यादा सबुन और शैम्पू आदि से नहीं नहाना चाहिए.
शीतपित्त का आयुर्वेदिक उपचार
यदि यह रोग बार-बार होता हो तो रोगी को केवल दूध और पीपल के चूर्ण पर कुछ दिन रखना चाहिए अथवा बहुत सादा भोजन पर रोगी को रखते हुए तिक्त घृत का अथवा मन्जिष्ठादि क्वाथ 2 तोला का या नीम, कटुकी, गिलोय, हरड़, सोंठ, पुनर्नवा (प्रत्येक समान मात्रा में लेकर विधिवत बनाया गया क्वाथ) 2 तोला की मात्रा दिन में 1 बार अथवा आरोग्य बर्धिनी वटी का रोगी को 3 बार सेवन कराना चाहिए अथवा तिक्त घृत प्रतिदिन देना चाहिए।
अगर फिर भी आपको यह रोग हो जाता है. तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसके द्वारा दी गयी दवाई आदि का नियमित रूप से इतेमाल करना चाहिए लेकिन हमने आपको नीचे कुछ आयुर्वदिक चीज़ो के बारे में बताया है. जिनके इस्तेमाल से भी आप शीतपित्त से छुटकारा पा सकते है. लेकिन किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर ले .
- अमृतादिक्वाथ ( रोगी को कुछ दिन सेवन करायें। (गिलोय, हल्दी, नीम की छाल, धन्बयास इनमें से किसी एक का क्वाथ रोगी को कुछ दिन पिलाना चाहिए।)
- निम्बयोग निम्बपत्र चूर्ण 2 माशा गया के घी के साथ रोगी को सेवन करायें।
- गुड़दीपक योग अजवायन को 2 गुणा गुड़ में मिलाकर रोगी को 4 माशा की मात्रा में सेवन करायें।
- त्रिफलासुर कृण्ण योग त्रिफला, पिप्पली समान मात्रा में तथा गुग्गुल समस्त वजन के बराबर लेकर गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें। यह रोगी को 4-6 गोलियाँ दिन में दें।
होम्योपैथी में पुरानी पित्ती उपचार
पित्ती के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं –
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- एस्टेक्स फ्लूविएटिस – लिवर के लक्षणों के साथ होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
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- लीडम पाल – टांगों पर होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
- नेट्रम मयूर – सूर्य से होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
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