रक्त प्रदर क्या है यह किस कारण होता है और इससे बचने के उपाय
वैसे साधारण तौर पर देखा जाए तो पुरुषों से अधिक स्त्रियों में बीमारियां होती है और स्त्रियों की कुछ ऐसी बीमारियां होती है जो कि बहुत ज्यादा खतरनाक होती है और इन्हीं बीमारी में से रक्त प्रदर भी एक ऐसी बीमारी है जो कि स्त्रियों में होती है और यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी होती है अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं हो पाता है तो यह स्त्रियों के लिए घातक साबित हो सकती है.
रक्त प्रदर एक ऐसी बीमारी है जो कि मासिक धर्म के समय होती है मासिक धर्म के समय में स्त्रियों की योनि से निकलने वाला रक्त अगर सामान्य से अधिक मात्रा में है तब उसे रक्त प्रदर रोग के नाम से जाना जाता है और यह कई बार बिना मासिक धर्म के भी निकलना शुरू हो सकता है जिससे स्त्रियों को बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इससे स्त्रियों के शरीर में कमजोरी आने लगती है.
तो आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि रक्त प्रदर रोग किन किन कारणों से होता है इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए और इस रोग के होने पर किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इस रोग का उपचार किस तरह से होता है.
रक्त प्रदर रोग किस कारण होता है
वैसे तो स्त्रियों में उत्पन्न होने की कई कारण हो सकते हैं इनमें से कुछ मुख्य इनमें से कुछ मुख्य कारण होते हैं जैसे स्त्रियों के गर्भाशय का अपने स्थान से हट जाना या गर्भाशय का उल्ट जाना ,गर्भपात होना, ज्यादा मैथुन करना, घोड़े, ऊंट, साइकिल, मोटरसाइकिल आदि की ज्यादा सवारी करना, काम, क्रोध, भय, चिंता, शोक, ईर्ष्या आदि को दिमाग में उत्पन्न करने से भी यह रोग हो सकता है .
इसके अलावा ज्यादा कठिन परिश्रम करना, ज्यादा नृत्य, रस्सी कूदना, दौड़, आदि से भी स्त्रियों में यह रोग उत्पन्न हो सकता है, और कई बार आहार-विहार, खाए हुए भोजन के पचने से पहले दोबारा भोजन करने से,कुछ गलत भोजन करने से, मांस, मछली, अंडे, शराब आदि का सेवन करने ,बार-बार गर्भपात होने से ज्यादा, जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करने से या फिर ज्यादा उत्तेजक फिल्मी, सॉन्ग ,स्टोरी और बुक आदि पढ़ने से यह रोग हो सकता है.
रक्त प्रदर रोग के लक्षण
यह रोग उत्पन्न होता है तब स्त्रियों में इसके कई लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे अचानक तीव्र गति से रक्त वर्ण होने लगेगा, रक्त काला व मटमैला दिखाई देगा, रक्त स्त्राव काफी पतला तो कभी ज्यादा गाढ़ा और कभी थक के बनकर निकलने लगेगा, शरीर में बिल्कुल थकावट महसूस होगी, हाथ पैर में जलन महसूस होगी, कमर दर्द रहने लगेगा, पेडू में दर्द होगा, शरीर में भ्रम पैदा होने लगेंगे, अधिक प्रयास लगना शुरू हो जाएगी, शरीर में खून की कमी हो जाएगी, शरीर दुबला पतला हो जाएगा, आंखों में अंधेरा आने लगेगा, चक्कर आने लगेंगे, इसके अलावा शरीर में खून की कमी से होने वाली कई बीमारियां उत्पन्न हो सकती है यह कुछ ऐसे लक्षण है जो कि स्त्रियों में रक्त प्रदर रोग होने के दौरान दिखाई देते हैं.
क्या क्या खाएं
अगर स्त्रियों में यह रोग हो जाता है स्त्रियों को इस रोग से बचने के लिए किन-किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किन किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह रोग एक ऐसा रोग है जो कि गलत खाने का सेवन करने से भी हो सकता है
- हमेशा सादा व पौष्टिक और संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए
- चोकर सहित बनी रोटी खानी चाहिए इसके अलावा भोजन में चावल मूंग मसूर की दाल और मूंग की खिचड़ी आदि को शामिल करना चाहिए
- सब्जी में परवल, पालक, तोरी, कद्दू, टिंडा आदि खाना चाहिए
- फलों में अकेला नाशपाती अंगूर आदि खाने चाहिए
- हमेशा एक पका हुआ केला खाकर ऊपर से एक गिलास ठंडे दूध में एक चम्मच शुद्ध घी मिलाकर पीना चाहिए
- कच्चे या भुने हुए चने जितना हो सके ज्यादा मात्रा में खाने चाहिए
क्या क्या नहीं खाना चाहिए
- ज्यादा तली भुनी हुई चीजों से परहेज करना चाहिए और मिर्च मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- मांस मछली अंडा लाल मिर्च गुड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- अगर कोई स्त्री शराब, गुटखा, पान, खैनी, बीड़ी आदि का सेवन करती है तो उसको यह बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
- ज्यादा उत्तेजक पेय पदार्थ जैसे गरम दूध, चाय, कॉफी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
क्या-क्या करना चाहिए
अगर किसी स्त्री में रक्त प्रदर रोग से संबंधित समस्या है तब उसको क्या क्या करना चाहिए और किन किन चीजों से परहेज करना चाहिए
- ज्यादा मानसिक व शारीरिक कार्य नहीं करने चाहिए
- कमर के नीचे तकिया लगा कर और नितम्ब को ऊंचा रखकर आराम करना चाहिए
- सुबह-सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए
- अपने शरीर में कब्ज की शिकायत नहीं रहनी चाहिए
क्या क्या नहीं करना चाहिए
- ज्यादा शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए
- दिन में जितना हो सके कम सोना चाहिए
- रात को जितना हो सके जल्दी सोना चाहिए
- हमेशा हर किसी से बातें करते रहना चाहिए
- अपने शरीर में आलस्य पैदा नहीं होने देना चाहिए
- घोड़े ऊंट साइकिल में मोटर साइकिल की सवारी नहीं करनी चाहिए
- ज्यादा मानसिक संताप उत्पन्न करने वाले विचार अपने मन में नहीं लाने चाहिए
- ज्यादा नृत्य, दौड़ना भागना, रस्सी कूदना और व्यायाम आदि नहीं करना चाहिए
- ज्यादा अधिक उत्तेजना पैदा करने वाले सॉन्ग, मूवी, स्टोरी व बुक आदि नहीं पढ़नी चाहिए
रक्त प्रदर आयुर्वेदिक मेडिसिन
लेकिन फिर भी अगर किसी महिला को रक्त प्रदर रोग की समस्या हो जाती है तो उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयों का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई चीजों का परहेज करना चाहिए लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसी दवाइयां हैं जिनको आप इस समस्या के शुरू में इस्तेमाल करके इससे छुटकारा भी पा सकते हैं जिनके बारे में हमने नीचे आपको बताया है इनको आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ले सकते हैं.
- अबलरी (निर्माता डाबर) 1-2 चम्मच दिन में 2 बार ।
- ओवोटोलिन (निर्माता झण्डू) 1-2 चम्मच दिन में 2 बार ।
- टेबलेट ल्यूकोल (निर्माता हिमालया) 1-2 गोली दिन में 3 बार 6 से 8 सप्ताह तक। यह श्वेत प्रदर व रक्त प्रदर दोनों में लाभकारी है।
- फेमीप्लेक्स टेबलेट (निर्माता चरक) 1-2 गोली दिन में 2-3 बार पानी से दें। रक्त प्रदर में विशेष उपयोगी है।
- आयापान टेबलेट (निर्माता-अलारसिन) 2-2 गोली दिन में 3-4 बार पानी से दें।
- पोसेक्स टेबलेट (निर्माता हिमालया) 2-2 गोली दिन में 3-4 बार/तीव्रावस्था में 2-2 गोली 2-2 घण्टे पर यह शीघ्र रक्त स्राव रोकती है।
- सफरिन टेबलेट (निर्माता मेडिकल इथिक्स) 2-3 गोली दिन में 2-3 बार। रक्तप्रदर में लाभकारी है।
- एम-टू टोन (निर्माता चरक फार्मा०) 1-2 चम्मच दिन में 2 बार । रवत प्रदर में लाभकारी है।
- वनितामृत (निर्माता त्रिमूर्ति) 1-2 चम्मच दिन में 2 बार।
- बावली घास घसत्व टेबलेट (गर्गबनौषधि) 1-2 चम्मच दिन में 3 बार। रक्त
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