महावीर जयंती कब कैसे और क्यों मनाई जाती है
भारत एक ऐसा देश है जहां पर अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं लेकिन ज्यादातर भारत में हिंदू धर्म के ही लोग रहते हैं इसीलिए हर साल भारत में सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के त्यौहार में खुशी व अवसर मनाए जाते हैं हालांकि सभी दूसरे धर्म के लोगों को भी अपने त्योहारों को खुलकर मनाने की आजादी है इसीलिए सभी धर्म के लोग एक दूसरे धर्म के त्योहारों व खुशी के अवसरों का आदर करते हैं और उनकी खुशी में शामिल होते हैं आप सभी को कि भारत में हर साल हिंदू धर्म के अनेक बड़े बड़े त्यौहार आते हैं.
जिनके मौके पर सभी लोग एक दूसरे धर्म के लोगों को भी अपने त्योहारों में शामिल करते हैं और उनके साथ खुशियां बांटते हैं हमारे देश में हर साल रक्षाबंधन होली दिवाली जैसे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे देवताओं के जन्म दिवस मनाए जाते हैं.जो कि हमारे लिए बहुत ज्यादा महत्व रखते हैं आप सभी को कि हमारे देश में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयंती महाशिवरात्रि जैसे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन इसी तरह से दूसरे धर्मों में भी सभी लोग अपने-अपने देवताओं के जन्म दिवस मनाते हैं क्योंकि जिस तरह से हमारे धर्म में यह सभी जन्मदिवस महत्व रखते हैं.
इसी तरह से जैन धर्म के लोगों के लिए भी उनके भगवान महत्वपूर्ण होते हैं जैन धर्म के लोग हर साल महावीर जयंती को मनाते हैं जो कि उनके लिए एक बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है महावीर एक बहुत बड़े अहिंसा वादी भगवान माने जाते हैं जो कि जन कल्याण को ज्यादा महत्व देते थे तो इस ब्लॉग में हम आप को महावीर जयंती कब कैसे और क्यों मनाई जाती है इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं.
महावीर जयंती
हर धर्म में कोई न कोई एक ऐसा इंसान जरूर हो जन्म लेता है जो कि अपने धर्म को बहुत ज्यादा ऊंचा उठाता है और उसके लिए बहुत कुछ करता है सभी धर्म के पीछे किसी ऐसे इंसान का हाथ जरूर रहता है जो कि उस धर्म के महत्व को दर्शाता है इसी तरह से जैन धर्म में भी महावीर नाम के एक ऐसे भगवान पैदा हुए जिन्होंने जैन धर्म के लिए बहुत योगदान दिया और उन्होंने हमेशा अहिंसा का रास्ता सुना महावीर एक ऐसे भगवान माने जाते हैं जिनका जन्म एक राजघराने में हुआ अपना पूरा जीवन सुख के साथ व्यतीत कर सकते थे.
उनको किसी भी तरह के दुख पीड़ा और कष्ट को सहने की जरूरत नहीं थी लेकिन महावीर ने बचपन से ही सन्यास का रास्ता चुना और उन्होंने अपने बचपन में ही राजपाट और अपने सुख को त्याग कर अपने जीवन को सन्यासी जीवन बना लिया उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने धर्म के लोगों की लिए लगाया भगवान महावीर ने दुनिया को अहिंसा और सत्य पर चलने की राह दिखाई वे हमेशा दुनिया को सत्य और अहिंसा से रूबरू कराते थे और दुनिया में इस के उपदेश देते थे.
भगवान महावीर ने जो किया इसी के कारण भी दुनिया में इतने प्रचलित भी हुए उनको महावीर के अलावा कई दूसरे नामों से भी जाना जाता है.भगवान महावीर बहुत ज्यादा प्रवचन देते थे जिसमें वे सबसे ज्यादा अहिंसा, सत्य, संयम प्रेम करुणा और सहनशीलता की बातें बताते थे उनका मानना था कि मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य भेदभाव को खत्म करना व अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलना होना चाहिए अगर कोई इंसान इन सभी बातों को अपनाता है तो वह जीवन में हमेशा सफल होगा.
इसके अलावा भी भगवान महावीर ने बहुत सारे और प्रवचन दिए क्योंकि भी एक बहुत ही बुद्धिमान और तेजस्वी इंसान थे क्योंकि जब भगवान महावीर अपनी मां के गर्भ में आए तब उनको उसी दिन से अपने राज्य की धन धन और समृद्धि प्राप्त हो गई और इसी के लिए बाद में उनका नाम वर्धमान भी रख दिया गया अगर आप भगवान महावीर के पूरे जीवन चक्र को पढ़ते हैं तब शायद ही दुनिया में कोई ऐसा इंसान होगा जो कि कभी हिंसा अत्याचार या दूसरे गलत रास्ते पर चल पाएगा भगवान महावीर ने तपस्या के कारण स्वामी के समस्त इंद्रियां प्राप्त कर ली थी
महावीर जयंती कैसे मनाई जाती है
वैसे तो महावीर भगवान जैन धर्म के भगवान माने जाते हैं लेकिन जिस तरह से उन्होंने दुनिया के लिए अपने पूरे जीवन को लगाया और दुनिया को अलग-अलग उपदेश दिए हैं उनसे शायद ही कोई दूसरा इंसान दूर हो पाएगा क्योंकि वह पूरी मानव जाति के लिए कार्य करते थे और वे नहीं चाहते थे कि कोई भी इंसान गलत रास्ते पर चले भगवान महावीर कभी भी किसी दूसरे धर्म का विरोध नहीं करते थे उनका मानना था कि हर इंसान को अपने जीवन में सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलना चाहिए.
अपने मन में कभी भी दोष और भेदभाव या जातिवाद नहीं रखना चाहिए इसीलिए भगवान महावीर को जैन धर्म से ज्यादा दूसरे धर्म के लोग भी मानते हैं और यह एक ऐसे भगवान हैं जिनको भारत के अलावा दूसरे बहुत सारे देशों में भी पूजा जाता है और इस दिन सभी जगह पर छुट्टी रहती है भगवान महावीर जयंती के मौके पर सभी लोग जैन मंदिरों में जाते हैं वह वहां पर पूजा अर्चना करते हैं.इस जयंती से कुछ समय पहले ही सभी मंदिरों में सजावट, साफ सफाई का काम शुरू कर दिया जाता है.
महावीर जयंती के मौके पर सड़कों पर रैलियां निकाली जाती है इस दिन मंदिरों में भगवान महावीर के प्रवचन सुनाए जाते हैं महावीर जयंती को वर्धमान जयंती के नाम से भी जाना जाता है भारत में सबसे ज्यादा महावीर जयंती गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में मनाई जाती है इसके अलावा भगवान महावीर ने कई ऐसे सिद्धांत भी बताए हैं जिनको वे सबसे ज्यादा सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, क्षमा को महत्व देते हैं जिनमें से उनके मुख्य सिद्धांत है इन सभी के बारे में उन्होंने अलग-अलग तरीके से विस्तार से दुनिया को उपदेश दिए हैं
भगवान महावीर का जीवन परिचय
भगवान महावीर का जन्म आज से लगभग ढाई हजार साल पहले 599 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है उनका जन्म भारत के बिहार में वासु कुंड नामक स्थान पर हुआ था उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था और उनकी माता का नाम त्रिशला देवी था वे सिद्धार्थ के तीसरे संतान थे उनका जन्म जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था इसीलिए उनको वर्तमान का नाम भी दिया गया बाद में भगवान महावीर एक स्वामी बने और बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक ऐसा गांव है जहां पर उनको वैशाली के नाम से भी पुकारा जाता है.
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर माने जाते हैं उनको जैन धर्म के लोग वह सत्य के महानायक मानते हैं उन्होंने अपना पूरा जीवन तपस्या व त्याग में लगा दिया क्योंकि महावीर का जन्म एक राजघराने में हुआ था उनको सभी सुख सुविधाएं मिलती थी लेकिन वे बचपन से ही सन्यासी बनना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने बचपन में ही अपनी सुख-सुविधाओं को त्याग कर सन्यासी का जीवन अपना लिया उनका मुख्य लक्ष्य दुनिया हिंसा जातिवाद भेदभाव अत्याचारों को खत्म करना था इसीलिए समय के साथ-साथ इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इनके ऊपर कई प्रवचन दीजिए.
भगवान महावीर बचपन से ही ब्रह्मचारी रहना चाहते थे उनका शादी विवाह जैसी चीजों में कोई भी मन नहीं था लेकिन उनके माता पिता चाहते थे कि महावीर शादी करे उनके बच्चे हो और इसी लिए उनका विवाह यशोदा नामक सुकन्या से करवाया गया भगवान महावीर ने 30 साल तक लोगों तक प्रेम अहिंसा सत्य और त्याग का संदेश पहुंचाया भगवान महावीर ने कई तप किए और वे इस सृष्टि में किसी भी जीव प्राणी इंसान वह दूसरी वस्तु को दुख नहीं पहुंचाना चाहते थे जब भगवान महावीर का देहांत हुआ तब उनकी शरीर को बिहार के नालंदा में ले जाया गया जहां पर उनका पावरी पुरी में दाह संस्कार किया गया जहां पर आज एक बहुत बड़ा जैन मंदिर है जिसको दुनिया जल मंदिर के नाम से जानती है.
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