दमा रोग के लक्षण कारण व उपचार
हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों में अलग-अलग तरह के रोग उत्पन्न होते हैं लेकिन कई बार एक ही अंग में कई अलग-अलग प्रकार के भी रोग उत्पन्न हो सकते हैं इसी तरह से हमारी स्वसन क्रिया से भी जुड़े हुए बहुत सारे रोग होते हैं जिनसे हमें सांस लेने में दिक्कत होती है तो इसी तरह का एक रोग दमा या अस्थमा है जो कि एक खतरनाक रोग है.
क्योंकि शुरू में तो यह रोग इतना ज्यादा भयानक नहीं होता लेकिन समय के साथ-साथ यह रोग बड़ा हो जाता है और फिर मरीज को सांस लेने में बहुत परेशानियां होती है तो आज के इस ब्लॉग में हम दमा रोग के बारे में ही बात करने वाले हैं इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की दमा रोग क्या होता है यह कैसे उत्पन्न होता है और इससे कैसे बच सकते हैं.
दमा रोग क्या होता है
किसी भी प्राणी को जीवित रहने के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन होती है लेकिन कई बार हमारे शरीर में कई रोग उत्पन्न होने के कारण ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और जिससे हमें सांस लेने परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो दमा रोग भी एक ऐसा ही रोग है जो कि इंसान को सांस लेने में परेशानी खडी करता है जब किसी इंसान को दमा रोग हो जाता है तब उस इंसान कीसांस की नलियों की पेशियां जकड़ना शुरू हो जाती है और फिर मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है और अगर दमा ज्यादा बढ़ जाता है तब कई बार रोगी को वेंटिलेटर के सहारे भी ऑक्सीजन दी जाती है और यह रोग एक ऐसा रोग है जो कि किसी भी बच्चे, बूढ़े और जवान में हो सकता है
दमा होने के कारण
किसी भी इंसान को दमा होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन इसके कुछ मुख्य कारण भी होते हैं जैसे पत्थर की कटाई व चट्टानों में काम करना, ज्यादा धुमे वाली जगह पर रहना, कपड़े की फैक्ट्री में काम करना, ज्यादा पेंट चुना व सीमेंट की फैक्ट्री में काम करना, ज्यादा हेयर स्प्रे सेंट में कॉस्मेटिक प्रोडक्ट इस्तेमाल करना, ज्यादा बीड़ी सिगरेट तंबाकू का सेवन करना, ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन करना, मानसिक तनाव, उत्तेजना, क्रोध और चिंता रखना, खाद्य पदार्थों से एलर्जी होना, ज्यादा मिर्च मसालेदार व तले हुए भोजन का सेवन करना, लगातार सर्दी जुकाम व नज़ले की समस्या रहना, ज्यादा ठंडे इलाके में काम करना यह कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे दमा उत्पन्न हो सकता है
दमा के लक्षण
जब किसी को दमा रोग होता है तब उस इंसान में बहुत सारे लक्ष्मण भी देखने को मिलते हैं इसके कुछ मुख्य लक्षण हैं जैसे शरीर से घर घर की आवाज सुनाई देना, सांस लेने में तकलीफ होना, दौरे के शरीर से ज्यादा गाड़ा व चिपचिपा कफ निकलना, कफ आसानी से न निकलना, शरीर में आलस रहना, बार बार सोने और बैठने का मन करना, गले में अवरोध महसूस होना, ठंडी हवा व सर्दी के मौसम में ज्यादा तकलीफ होना, हृदय की धड़कन तेज होना, बार बार प्यास लगना, ज्यादा पसीना आना, हाथ पैर ठंडे होना, घुटन महसूस होना, मानसिक घबराहट होना व बात बात पर गुस्सा करना ऐसे बहुत सारे लक्षण दमे के रोगी के अंदर देखने को मिलते हैं
क्या खाना चाहिए
जब किसी को दमे की रोक की समस्या हो जाती है तब मरीज को खाने पीने की चीजों के ऊपर भी ध्यान देना होता है क्योंकि गलत चीजों के सेवन से दमें की समस्या बढ़ सकती है और आपको बाद में ज्यादा परेशानी हो सकती है
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा पालक, शलगम, करेला, मेथी, प्याज, धनिया, पुदीना, टिंडे, परवल की सब्जियां खानी चाहिए
- रोगी की सब्जी में ज्यादा से ज्यादा अदरक, धनिया, पालक और लहसुन डालना चाहिए
- रोगी को फलों में पपीता, अनार, अंगूर खजूर से अंजीर और शहतूत खिलाने चाहिए
- मरीज को गेहूं के आटे की रोटी, जेई के आटे की रोटी, बिस्कुट, दलिया, केक, डबल रोटी और मूंग की दाल देनी चाहिए
- रोगी को चमगादड़ के मांस का शोरबा देना चाहिए जिससे रोगी तेजी से ठीक होगा
- रात को सोते समय कम भोजन खाना चाहिए वह सोने से 2 -3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को बे-मौसमी व बासी भोजन बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए
- रोगी को मिर्च मसालेदार व तले भुने हुए भोजन से परहेज करने चाहिए
- रोगी को दही, अंडा, दूध घी व खटाई युक्त पदार्थ नहीं देने चाहिए
- रोगी को शराब, बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए रोगी को गुड़ चीनी मछली और मिठाई से परहेज करने चाहिए
- रोगी को ठंडी चीजें व कोल्ड ड्रिंक, बर्फ और आइसक्रीम नहीं देनी चाहिए
- रोगी को उड़द की दाल, बदाम,छोटी मटर, नारियल, तरबूज ,केला और खमीर से बने पदार्थ नहीं देनी चाहिए
क्या करना चाहिए
- रोगी को दमे का दौरा पड़ने पर गरम पानी में पैर रखने चाहिए व गर्म पानी पीना चाहिए
- रोगी को जिस खाद्य पदार्थ से एलर्जी है उसको खाने से परहेज करने चाहिए
- रोगी को ज्यादा चिंता और मानसिक तनाव वाले विचार अपने मन से निकाल देने चाहिए
- हमेशा सुबह-सुबह हल्के-फुल्के प्राणायाम व व्यायाम आदि करने चाहिए
- एक कली लहसुन की पीसकर एक चम्मच सरसों के तेल में मिलाकर एक चुटकी सेंधा नमक डालें और हल्का गर्म करके और सीने और पीठ पर मालिश करे
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा धूल मिट्टी वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए
- रोगी को ज्यादा कठोर कार्य नहीं करने चाहिए
- रोगी को भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए
- रोगी को धूम्रपान करने की आदत छोड़ देनी चाहिए
- रोगी बरसात में भीगने और ठंडी जगह पर जाने से बचना चाहिए
- बाहर जाते समय मास्क और कपड़े इस्तेमाल करना चाहिए
- रोगी ज्यादा भागना तोड़ना नहीं चाहिए
दमा की आयुर्वेदिक दवा
तो फिर भी अगर किसी इंसान को दमे की परेशानी होती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए लेकिन आप कुछ आयुर्वेदिक औषधियों व दवाई का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल करें.
- पूष्करमूलादि कल्क- पुष्करमूल, जवाखार, काली मरिच प्रत्येक समान में लें पीस कर गर्म पानी से सेवन करायें।
- गुड़ादिलेह -गुड़, मरिच, पिप्पली, मुनक्का और हल्दी प्रत्येक समान मात्रा में लेकर घी या तेल से 3-4 चटायें।
- खजूरादिलेह – खजूर, पिप्पली, मुनक्का और खाण्ड प्रत्येक समान मात्रा में लेकर पीसकर घत+मधु से चटायें।
दमा की आयुर्वेदिक दवा मराठी पतंजलि में अस्थमा की दवा सांस की एलर्जी की दवा अस्थमा की देशी दवा दमा की होम्योपैथिक दवा आयुर्वेदिक सांस की दवा