जिगर बढ़ने के कारण, लक्षण में घरेलू उपचार

जिगर बढ़ने के कारण, लक्षण में घरेलू उपचार

जब तक किसी इंसान के शरीर के सभी अंग सही तरह से कार्य करते हैं तब उसके शरीर में कोई भी बीमारी उत्पन्न नहीं होती और जैसे ही हमारे शरीर के अंगों में कुछ दिक्कत आती है तब हमारे शरीर में रोग उत्पन्न होने लगते हैं वह दूसरी कई समस्याएं खड़ी हो जाती है लेकिन कई बार हमारे शरीर में रोग का कारण हमारे शरीर के अंग ही बन जाते हैं क्योंकि आपने कई बार सुना हुआ कि किसी इंसान के शरीर का कोई अंग बढ़ने लगता है.

जिससे उसको कई प्रकार की बीमारियां या अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती है तो इसी तरह से जिगर का बढ़ना भी एक ऐसी समस्या है जो कि रोगी को बहुत परेशान करती है और इससे रोगी को बहुत तकलीफ भी होती है तो आज के इस ब्लॉग में हम जिगर के बढ़ने के कारण लक्षण व इसके आयुर्वेदिक उपचार आदि के बारे में बताएंगे.

जिगर का बढ़ना

वैसे तो अगर किसी इंसान के शरीर के बाहर का कोई अंग बढ़ता है तब उसको इतनी ज्यादा समस्या उत्पन्न नहीं होती लेकिन जब किसी इंसान के शरीर के अंदर कोई अंग या कोई नस बढ़ने लगती है तब उसको ज्यादा दिक्कत होती है और इसी तरह से जिगर का बढ़ना भी एक बहुत बड़ी समस्या है जब किसी इंसान के लिवर में बार-बार जलन इंफेक्शन या अधिक रक्त संचार होता है तब उसका लीवर बढ़ने लगता है

जब किसी रोगी का लीवर बढ़ने लगता है तब उसको शुरुआत में इसके बारे में पता नहीं चलता लेकिन धीरे-धीरे इसकी उत्तक कोशिकाएं खत्म होने लगती है और उन कोशिकाओं की जगह पर सौत्रिक ऊतकों (फाइब्रोसिस टिश्यूज्स Fibrous Tissues) बनने लगती है और फिर धीरे-धीरे रोगी के लिवर में कई रोग उत्पन्न होने लगते हैं और उसका लीवर बिल्कुल कमजोर हो जाता है हमारे शरीर की पाचन शक्ति बिल्कुल कमजोर हो जाती है यह रोग ज्यादातर छोटे बच्चों में उत्पन्न होता है

जिगर बढ़ने के कारण

जब किसी इंसान का जिगर बढ़ने लगता है तब इसके पीछे कई प्रकार के कारणों का हाथ होता है जैसे रोगी के चाय पचत में खराबी होना, रोगी के शरीर में अधिक आयरन और कॉपर इकट्ठा होना, लंबे समय तक शराब और नशीली वस्तुओं का सेवन करना, ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करना, मलेरिया बुखार होना, बच्चों में सूखा रोग होना, कुपोषण होना, इसके अलावा ज्यादा खट्टी व तली हुई चीजों का सेवन करना, ज्यादा नमक व गरम मसाला आदि का सेवन करना, इसके अलावा रोगी के शरीर में हृदय रोग, खसरा,

टाइफाइड,छोटी माता आदि रोग उत्पन्न होना, बच्चों में इसरो के उत्पन्न होने के अलग कारण होते हैं जैसे बच्चे की माता के दूध में खराबी होना, बच्चे को गाय या भैंस का दूध पिलाना, बच्चे को बार बार ज्यादा मात्रा में दूध पिलाना, छोटी उम्र में बच्चे को दाल, चावल और भोजन कराना, बच्चे को ज्यादा मीठे पदार्थों का सेवन करवाना, बच्चे को ज्यादा बर्फ, आइसक्रीम, चॉकलेट और टॉफी आदि खिलाना इनके कारण बच्चों के शरीर में यह समस्या उत्पन्न हो सकती है

जिगर बढ़ने के लक्षण

जिस तरह से हमने आप को इस समस्या के कई कारणों के बारे में बताया उसी तरह से इस समस्या के उत्पन्न होने पर कई प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे रोगी के पेट में गैस भरी हुई महसूस होने लगती है रोगी का जी मिचलाना, रोगी के पेट के ऊपरी भाग में जलन उत्पन्न होना, रोगी को भूख लगना बंद हो जाती है, रोगी के शरीर में थकावट व आलस्य होने लगता है, रोगी के शरीर का भार कम होने लगता है, रोगी की त्वचा खुरदरी व सख्त होने लगती है

महिलाओं में इस समस्या के उत्पन्न होने पर मासिक धर्म में दिक्कत आने लगती है वह असमय पर मासिक धर्म होने लगता है बहुत से रोगियों में रक्त स्त्राव भी होने लगता है कुछ रोगियों में हल्का बुखार व सिर दर्द होता है रोगी के लिवर में दिक्कत होने पर रक्तलापता रोग उत्पन्न हो जाता है इससे रोगी को पीलिया रोग भी उत्पन्न हो सकता है इसके अलावा रोगी के शरीर में कब्ज, जिगर में दर्द, पैरों में सूजन, रोगी की आंखों में अंधेरा, बार-बार उल्टियां, नाड़ी में तीव्रता आदि कई और भी लक्षण देखने को मिलते हैं

घरेलू उपचार

  • रोगी को हर रोज एक एक चम्मच पीपल और चिरायता की चुर्ण पानी के साथ लेनी चाहिए
  • रोगी को हर रोज रात में मेहंदी के पत्तों को कूटकर भिगोना चाहिए और सुबह सुबह खाली पेट उस पानी को पीना चाहिए
  • रोगी को हर रोज एक कप गोमूत्र में एक चम्मच मीठा सोडा मिलाकर पीना चाहिए
  • रोगी को हर रोज गोमूत्र में राय पीसकर मिलाने चाहिए और उसका लेप जिगर के आसपास करना चाहिए
  • रोगी को हर रोज अरंडी और अलसी के बीज को पीसकर लेप बनाकर जिगर पर लगाना चाहिए
  • रोगी को शहद में नीम की छाल का काढ़ा मिलाकर पीना चाहिए
  • बच्चों में यह समस्या उत्पन्न होने पर एक चम्मच जामुन का सिरका पानी में घोलकर पिलाना चाहिए
  • गोमूत्र को हल्का गर्म करके कपड़े से रोगी के पेट को सेंकना चाहिए
  • रोगी को छोटी पीपली को घिसकर शहद के साथ दिन में तीन चार बार लेना चाहिए

बचाव

  • रोगी को ज्यादा खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को अपने शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए
  • रोगी को ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • इस रोग से बचने के लिए हर रोज ज्यादा से ज्यादा फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को धूम्रपान व शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
  • रोगी को समय-समय पर अपने टेस्ट व अल्ट्रासाउंड आदि करवाने चाहिए
  • रोगी को लक्षण दिखाई देते तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा कठोर वह मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए

लेकिन फिर भी अगर किसी को यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या आप कुछ आयुर्वेदिक औषधियों व दवाइयों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं

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