जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास Jagannath Rath Yatra कब कैसे और क्यों निकाली जाती है
जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास Jagannath Rath Yatra कब कैसे और क्यों निकाली जाती है
भारत एक ऐसा देश है.जहां पर हर साल अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है. भारत के सभी लोग अपने अपने त्योहारों को मिलजुल कर मनाते है. हम जितने भी त्योहार मनाते है. उनमें किसी ना किसी भगवान की पूजा जरूर करते है. भगवान की पूजा के लिए है.हम दूर-दूर मंदिरों में भी दर्शन के लिए जाते है. क्योंकि भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है.जो कि हमारी आस्था का प्रतीक माने जाते है. इन सभी मंदिरों में हर साल लाखों लोग पूजा अर्चना करते है. वह भगवान के दर्शन करते है. जितने भी खुशी के अवसर मनाए जाते है. उन सभी को हम अलग-अलग तरीके से मनाते है. सभी भगवान के मंदिर में होने वाली पूजा अर्चना भी अलग अलग तरीके से की जाती है.
दुनिया में ऐसा दूसरा कोई भी देश नहीं है.जहां पर इतने देवी देवताओं को पूजा जाता है.वह इतनी ज्यादा मंदिर है.भारत एक ऐसा देश है.जहां पर हर साल अनेकों त्योहार मनाए जाते है. वह अलग-अलग प्रकार के देवी देवताओं की पूजा की जाती है.क्योंकि भारत के लोग भगवान के ऊपर बहुत ज्यादा विश्वास करते है. उनका मानना है.कि सच्चे मन से भगवान से जो भी मांगा जाए भगवान जरूर देते है. इसलिए भारतीय लोग भगवान के प्रति इतना ज्यादा लगाव रखते हैं.
हमारे देश में जितने भी भगवान की पूजा होती है.वह सभी अलग-अलग तरीके से की जाती है.क्योंकि सभी भगवान को पूजने के पीछे कोई ना कोई कहानी जरूर होती है.इसीलिए सभी अलग-अलग तरीके की पूजा होती है. कुछ भगवान को तो मनाने का तरीका बिलकुल अलग ही होता है.जैसे आप रथ यात्रा को ही ले लीजिए रथयात्रा एक बहुत ही अनोखी यात्रा होती है.जिसमें भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है.आप शायद सभी रथ यात्रा के बारे में जरूर जानते होंगे लेकिन आप में से अगर कोई भी रथ यात्रा के बारे में नहीं जानता है.तो हम इस ब्लॉग में आपको रथ यात्रा के बारे में ही पूरी जानकारी देने वाले है. इस ग्रुप में हम आपको रथ यात्रा कब कैसे और क्यों निकाली जाती है.इसके बारे में बताने वाले हैं.
रथ यात्रा
हम जितने भी त्यौहार मनाते है. या किसी भी भगवान की पूजा करते है. वे सभी बिल्कुल अलग अलग होती है.क्योंकि हमारे देश में बहुत सारे देवी देवताओं को पूजा जाता है. बहुत सारे त्योहारों को भी मनाते है. इन सभी त्योहारों को मनाने का तरीका अलग अलग होता है. क्योंकि इन सभी त्योहारों के पीछे अलग अलग कहानियां होती है.इसीलिए हम सभी त्योहारों को अलग-अलग रूप में मनाते है. आप में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो कि अलग-अलग मंदिरों में जाते है. आपने देखा हुआ कि सभी मंदिरों में आरती व पूजा-अर्चना अलग-अलग तरीके से की जाती है.किसी मंदिर में फल दूध और मिठाई आदि चढ़ाकर पूजा की जाती है.तो किसी मंदिर में फूल आदि चढ़ाए जाते है. इसी तरह से हमारे देश में ऐसे मंदिर है.
जंहा पर अनोखे तरीके से भगवन को पूजा जाता है.आपने देखा होगा कि भगवान शिव के भक्त श्रावण मास में कांवड़ की यात्रा निकालते है. भगवान शिव के भक्त हरिद्वार से कावड़ लेकर मंदिरों में जाकर चढ़ाते है. इसी तरह से हमारे देश में रथयात्रा की भी निकली जाती है.रथयात्रा एक ऐसी यात्रा है.जो कि भगवान जगन्नाथ के लिए निकाली जाती है. यह पर्व भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.भारत में 4 धाम ऐसे है. जहां पर रथ यात्रा निकाली जाती है.लेकिन उड़ीसा के पूरी क्षेत्र में निकाली जाने वाली जगरनाथ रथ यात्रा एक बहुत ही विशाल रथ यात्रा होती है.यह रथयात्रा बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है.हालांकि पूरी के अलावा अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है.लेकिन पूरी क्षेत्र में निकाले जाने वाली रथयात्रा अहमदाबाद की रथयात्रा से ज्यादा बड़ी और अलग भी होती है.
रथ यात्रा कैसे निकाली जाती है
वैसे तो भारत की कई क्षेत्रों में अलग-अलग रथयात्रा निकाली जाती है.लेकिन उड़ीसा राज्य की पूरी जगन्नाथ यात्रा एक विशाल रथयात्रा होती है.यह रथ यात्रा हिंदू धर्म में निकाले जाने वाली सबसे बड़ी रथयात्रा मानी जाती है. इस यात्रा के दौरान सभी लोग इकट्ठा होकर भगवान जगन्नाथ की पूजा भी करते है. इस रथ यात्रा को उड़ीसा राज्य के पूरी शहर से निकाल कर मनाया जाता है. यह पर्व लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है.यह रथ यात्रा उड़ीसा राज्य के लोगों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है.क्योंकि उड़ीसा राज्य के लगभग सभी लोगों के लिए भगवान जगन्नाथ एक प्रमुख भगवान माने जाते हैं.
यह रथयात्रा भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी बहुत ज्यादा प्रचलित है.इसीलिए इस रथयात्रा को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त व टूरिस्ट भी आते है. इस यात्रा को निकालने के लिए भगवान जगन्नाथ के लिए तीन रथ तैयार किए जाते है. उन सभी रथों के ऊपर ‘छर पहनरा’ अनुष्ठान किया जाता है.इसके बाद इन सभी रथों के लिए सोने की झाड़ू से रास्ते को साफ किया जाता है. इन सभी रथों की पूजा अर्चना की जाती है.उसके बाद में इस रथ यात्रा की शुरुआत होती है. इस रथयात्रा के साथ सभी लोग ढोल नगाड़ों के साथ भगवान जगन्नाथ का गुणगान करते हैं.
सभी भक्तों इन तीनों रथों को खींचकर यात्रा को आगे बढ़ाते है. ऐसा माना जाता है.कि जो भी भक्त इन रथों को आगे खींचने में मदद करता है.भगवान जगन्नाथ उनकी मनोकामनाएं पूरी करते है. इसीलिए सभी भक्त एक एक बार इन रथों को आगे खींचने में मदद जरूर करते है. इस यात्रा को पूरे पूरी शहर में घुमाया जाता है. फिर 10 दिनों के बाद मंदिर की ओर ले जाकर 11 दिन मंदिर के द्वार खोले जाते है. उसके बाद में सभी भक्तों ढोल नगाड़ों के साथ भगवान जगन्नाथ के मंदिरों में पूजा अर्चना करते है. भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते है. भगवान जगन्नाथ से अपनी अपनी मनोकामनाएं मानते है. उसी तरह से रथ यात्रा को निकाला जाता है.
भगवान श्री कृष्ण और राधा की युगल मूर्तियों को ही भगवान जगरनाथ का रूप माना जाता है. इन रथ यात्रा के दौरान इन्हें की मूर्तियां स्थापित की जाती है.इस रथ यात्रा की तैयारियां बसंत पंचमी से शुरू कर दी जाती है. इस रथयात्रा के लिए अलग-अलग प्रकार की पेड़ों की लकड़ियों से रथ का निर्माण किया जाता है. रत्नों को अलग अलग तरीके से सजाया जाता है.इसके लिए अलग-अलग प्रकार की कई और चीजों में धातुओं का भी इस्तेमाल किया जाता है.
रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है
जिस तरह से हिंदू धर्म में भगवान शिव की कावड़ यात्रा निकाली जाती है.उसी तरह से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है.क्योंकि ऐसा माना जाता है.कि इस प्रति यात्रा के कारण भगवान जगन्नाथ बहुत खुश होते है. भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते है. इस रथ यात्रा के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी कहानी भी है.क्योंकि ऐसा माना जाता है.कि आज से लगभग 800 साल पहले उड़ीसा राज्य के पूरी शहर में इस यात्रा की शुरुआत हुई और तब से यह रथ यात्रा हर साल निकाली जाती है. यह रथयात्रा लगभग 10 दिनों तक चलती है.इस यात्रा के दौरान 3 रथोनिर्माण किया जाता है.
रथ यात्रा कब निकाली जाती है
यह यात्रा एक बहुत ही प्राचीन समय से निकाले जाने वाली रथयात्रा है.इसीलिए यह रथयात्रा भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत ज्यादा प्रचलित है. यह रथयात्रा भारतीय कैलेंडर के अनुसार निकाली जाती है.इस रथ यात्रा को आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथपुरी से शुरू किया जाता है. यह रथयात्रा लगभग 10 दिनों तक चलती है.उसके बाद में आषाढ़ शुक्ल की दसवीं तक लोगों के बीच रहती है.रथ यात्रा को देखने के लिए हर साल उड़ीसा राज्य के पूरी शहर में लाखों लोग इकट्ठा होते है. इसके दौरान सभी लोग इकट्ठा होकर एक दूसरे के साथ इस रथयात्रा को निकालते है. 10 दिनों तक पूरे पूरी शहर में भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना होती है
इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद में भी रथ यात्रा को निकाला जाता है. यह रथयात्रा भी पूरी रथ यात्रा के बाद निकाले जाने वाली दूसरी बड़ी रथयात्रा है.यह रथयात्रा भी भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित मानी जाती है.इस रथयात्रा के दौरान भी भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की जाती है. इस रथयात्रा को भी देखने के लिए दूर-दूर से भक्त इकट्ठा होते हैं.