सामान्य ज्ञान

भाप के इंजन का अविष्कार

भाप के इंजन का अविष्कार

भाप का इंजन एक प्रकार का उष्मीय इंजन है यानि की यह उष्मीय ऊर्जा से चलता है और कार्य करने के लिये जल का प्रयोग करता है जिस से वाष्प बनाकर उसका ऊर्जा की तरह प्रयोग करता है  भाप के इंजन का इतिहास बहुत पुराना है

भाप से चलने वाली रेलगाड़ियाँ एवं अन्य मशीने बंद हो चुकीं हैं किन्तु पूरे संसार की बिजली -शक्ति का लगभग आधी शक्ति आज भी वाष्प टर्बाइनों की सहायता से उत्पन्न किया जा रहा है

और कहा जाता है की भाप इंजन  इतना पुराना है इसका  सबसे प्राचीन उल्लेख अलेक्जैंड्रिया के हीरो के लेखों में मिलता है जो 300 ई.पू.-400 ई. सन् पुराना है हीरो उस विख्यात अलैक्जैंड्रीय संप्रदाय schwör bei koran का सदस्य था जिसमें टोलेमी, यूक्लिड, इरेटोस्थनीज जैसे तत्कालीन विज्ञान के महारथी सम्मिलित थे

भाप का इंजन का उपयोग Use of steam engine

  • सबसे पहले 1698 ई. में मार्क्सेव देला पोर्ता के सुझाव का उपयोग  करके टामस सेवरी ने पानी चढ़ाने  भाप के इंजन का उपयोग किया  सेवरी पहला व्यक्ति था जिसने व्यावसायिक उपयोग का एक भाप इंजन बनाया
  •  सेवरी के इंजन के आविष्कार के बाद भाप इंजन का अगला चरण न्यूकोमेन इंजन का आविष्कार था। इसका आविष्कार टामस न्यूकोमेन (1663-1729 ई.) ने किया। इस इंजन का खदानों और कुओं से पानी निकालने में 50 वर्षों तक उपयोग होता रहा
  • जार्ज और राबर्ट स्टीवेंसन को ही एक सफल रेल इंजन चित्र बनाकर उससे 1829 ई. में लोवरपुल और मैनचेस्टर के बीच रेलगाड़ी चलाने का श्रेय प्राप्त हुआ|
  •  1812 ई. में राबर्ट पुलटन ने जलयानों के लिए भाप इंजन का प्रथम उपयोग  किया था।

भाप इंजन के प्रकार

सरल एवं संयोजी इंजन

simple and compound engine in Hindi – सरल इंजन में प्रत्येक सिलिंडर बॉयलर से सीधे भाप पाता है एवं सीधे वायुमंडल में  (exhaust) करता है। संयोजी इंजन में भाप एक सिलिंडर में, जिसे उच्च दाब सिलिंडर कहते हैं,

कुछ हद तक प्रसारित होती है और उसके बाद उससे कुछ बड़े सिलिंडर में, जिसे निम्न दाब सिलिंडर कहते हैं, प्रवेश करती है एवं यहाँ प्रसार की क्रिया पूर्ण होती है|

निम्न एवं  मध्यम एवं उच्च चाल इंजन

Low and medium and high speed engines in Hindi – निम्न चाल इंजन में चार फुट पिस्टन स्ट्रोक (piston storke) एवं 80 परिक्रमण प्रति मिनटवाले इंजन में औसत पिस्टन चाल 640 फुट प्रति मिनट होगी। यह इंजन निम्न चाल इंजन कहा जाएगा।

साधारणत: 100 परिक्रमण प्रति मिनट की चाल से कम चाल पर चलनेवाले इंजन को निम्न चाल इंजन कहते हैं एवं 250 परिक्रमण प्रति मिनट की चाल से अधिक चाल पर चलनेवाले इंजन को उच्च चाल इंजन कहते हैं। 100 और 250 परिक्रमण प्रति मिनट के बीच की चाल पर चलनेवाले इंजन को “मध्यम चाल इंजन” (medium speed engine) कहते हैं।

उच्च चाल इंजन की सबसे बड़ा गुण यह है कि समान शक्ति के लिए यह बहुत ही छोटे आकार का होता है। उच्च चाल के कारण भाप भी कम ही खर्च होती है, क्योंकि इस प्रकार के इंजन में भाप और सिलिंडर के बीच ऊष्मा स्थानांतरण (heat transfer) में बहुत ही कम समय लगता है।

संघनन और असंघन इंजन

condensing and non-condensing engines in Hindi – असंघनन इंजन वह भाप इंजन है जिससे भाप का (exhaust) सीधे वायुमंडल में होता है एवं इसके लिए सिलिंडर में भाप की दाब वायुमंडल की दाब से कभी कम नहीं होनी चाहिए।

संघनन इंजन में भाप कार्य करने के बाद Condenser में प्रवेश करती है एवं वह वहाँ वायुमंडल की दाब पर जल में परिवर्तित हो जाती है Condenser का व्यवहार करने से भाप अधिक कार्य कर पाती है।

ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज इंजन

vertical and horizontal engines in hindi – सिलिंडर की घुमने की स्थिति के ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज होने के अनुसार इंजन ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज कहा जाता है। क्षैतिज इंजन ऊर्ध्वाधर इंजन से अधिक जगह घेरता है ऊर्ध्वाधर प्रकार के इंजन में घर्षण आदि कम होता है, जिसके कारण यह क्षैतिज इंजन की तुलना में अधिक दिन तक चल सकता है।

एक एवं द्विक्रिया इंजन

single and double action engines in Hindi – एकक्रिया इंजन में भाप पिस्टन के एक ही ओर कार्य करती है एवं द्विक्रिया इंजन में भाप पिस्टन के दोनों ओर कार्य करती है। यदि इन दोनों प्रकार के इंजनों में अन्य सभी अवस्थाएं समान हों,

तो द्विक्रिया इंजन द्वारा प्राप्त शक्ति दूसरे प्रकार के इंजन द्वारा प्राप्त शक्ति की दूनी होती है। यही कारण है कि इन दिनों एकक्रिया इंजन कम ही व्यवहार में लाया जाता है।

यह भी देखे

इस पोस्ट में आपको भाप के इंजन का आविष्कार कब हुआ भाप इंजन का आविष्कार कब हुआ वाष्प इंजन का आविष्कार कब हुआ रेलगाड़ी का आविष्कार किसने किया था जेम्स वाट स्टीम इंजन ट्रेन का आविष्कार के बारे में बताया गया है

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