सामान्य ज्ञान

भारतीय लोग विदेशों में क्यों रहते हैं इसका कारण

भारतीय लोग विदेशों में क्यों रहते हैं. इसका कारण

आज के समय में भारत की युवा पीढ़ी भारत में कम और विदेशों में जाकर बहुत ज्यादा रहना चाहती है. और हमारे देश में हर साल लगभग बहुत से लोग विदेशों में जाकर रहने लगते है. और वे लोग उन्ही देश की नागरिकता लेकर वहां पर परमानेंट बस जाते हैं.

और एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है. कि पिछले 4 साल में भारत के लगभग डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोग विदेशों में जाकर रहने लगे हैं.

वहां की नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं. वैसे तो विदेश जाने का सपना हर किसी का होता है. लेकिन वहां पर हमेशा के लिए रहने की सोच बहुत ही कम लोगों में देखने मिलती थी. लेकिन आज के समय में लोग विदेशों में ज्यादा रहना चाहते हैं. तो विदेशों में रहने का क्या कारण है और क्यों लोग विदेशों में ज्यादातर रहना चाहते हैं.

आज की पोस्ट में हम इसी के बारे में पूरी जानकारी आपको विस्तार से बताएंगे ताकि आपको अच्छे से समझ में आ सके कि आखिर भारतीय लोगों का विदेश में रहने के पीछे क्या कारण है तो आप इस पोस्ट को पूरा और अंत तक जरूर पढ़े.तो देखिए

भारतीय लोग विदेशों में क्यों रहते हैं. इसका कारण

Why do Indian people live abroad? The reason in Hindi – जैसा की हमने आपको ऊपर बताया है पिछले 4 साल के आंकड़ों में अगर देखा जाए तो भारत में से डेढ़ लाख लोगों ने विदेशों में जाकर नागरिकता प्राप्त कर ली है और हमेशा के लिए वहां रहने लगे हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. जैसे

पैसा

भारतीय लोगों का विदेशों में जाकर रहने का सबसे बड़ा कारण पैसा है.क्योंकि भारत में बेरोजगारी ज्यादा है और भारत में पैसे कमाने बहुत मुस्किल होती हैं. जबकि दूसरे देशों में पैसे कमाने के अच्छे साधन हैं. खासकर विकसित देशों में जैसे जापान, चीन, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में हमारे देश के लोग आसानी से जाकर रह सकते हैं.

और पैसे कमा सकते हैं. और अगर पढ़े लिखे लोगों की बात करें तो हमारे देश के लोगों को वहां पर जॉब की भी ऑपर्चुनिटी बहुत ज्यादा मिलती है. जिससे वे अच्छे पैसे कमा सकते हैं. और भारत में कंपटीशन ज्यादा होने के कारण एक अच्छी जॉब मिलना बहुत ही मुश्किल है.

बेहतर शिक्षा

भारतीय लोगों का विदेशों में रहने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. विदेशों में बेहतर शिक्षा का होना/ जैसा कि हम सभी जानते हैं. हमारे देश में बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट जैसे IIT, IISC, IIM, AIIM, NILU आदि बहुत ही कम है. और इनमें दाखिला लेना बहुत ही मुश्किल है. और इसके साथ-साथ आरक्षण भी एक बहुत बड़ी समस्या है.

जिसके कारण बहुत से लोगों का एडमिशन नहीं हो पाता है.और फिर इन के बाद इनके नीचे लेवल के इंस्टिट्यूट वह भी बहुत ही कम है. और इतनी ज्यादा अच्छे भी नहीं हैं. और IIT इंस्टिट्यूट में सिलेक्शन रेट 2% है. जबकि MIT जो दुनिया की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट है. उसमें सिलेक्शन रेट 5% है. IIT में एडमिशन लेना बहुत मुश्किल है.

जबकि MIT में एडमिशन लेना आसान है.और भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं. जो कि सिर्फ आरक्षण के कारण ही एडमिशन नहीं ले पाते हैं. IIT जैसी इंस्टिट्यूट का कम होना भी बहुत बड़ा कारण है क्योंकि भारत में बहुत से ऐसे छात्र भी हैं. जो बहुत ही टैलेंटेड होते हैं. लेकिन फिर भी उनका एडमिशन नहीं हो पाता इसलिए यह लोग विदेशों में जाना ज्यादा बेहतर समझते हैं.

आरक्षण

जैसा की हमने आपको ऊपर भी बताया है भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं. जो आरक्षण के कारण भी हमारे देश को छोड़कर बाहर रहना पसंद करते हैं. आरक्षण के क्या दुष्परिणाम है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैथ से पीएचडी की जो कट ऑफ लिस्ट है वह sC और ST के लिए 0 नंबर से शुरू होती है

तो आप अब देख सकते हैं. कुछ लोगों को तो जीरो नंबर पर ही एडमिशन मिल रहे हैं. लेकिन कुछ लोगों को 80 – 90% नंबर के बाद भी एडमिशन नहीं मिल रहा है. और जिन लोगों के पास 80-90% नंबर है. फिर भी उनका एडमिशन नहीं होता है तो वह लोग बहुत ही निराश होते हैं. इसलिए इस देश के कानून से नाखुश होते हैं.

और वह कोशिश करते हैं. कि किसी दूसरे देश में जाकर वहां की नागरिकता प्राप्त करके वहां पर पढ़ाई करें और वहीं परमानेंट रहने लगे.

lack of equal opportunity

हमारे देश में सभी लोगों के लिए एक समान अधिकार नहीं है. क्योंकि हमारे संविधान में आरक्षण एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण अलग-अलग जातियों के आधार पर ही अलग-अलग सरकारी सेवाएं दी जाती हैं. चाहे वह चुनाव में हो या सरकारी जॉब में हो या फिर कोई दूसरी सरकारी सेवा हो

जब भी किसी पोस्ट के लिए 100 सीट निकलती हैं. तो उनमें से 50 सीट आरक्षण वालों की होती ही है और अगर किसी ऊंची जाति के गरीब लड़के को स्कॉलरशिप की जरूरत है

और पढ़ाई के लिए उसके पास पैसे नहीं है तो उसको स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी जबकि अगर कोई भी आरक्षण मिलने वाली जाति का लड़का अमीर है तो भी उसे स्कॉलरशिप दे दी जाती है यानी हमारे देश में एक समान अधिकार नहीं है इससे भी बहुत से लोग परेशान होकर दूसरे देशों में जाकर रहने लगते हैं.

आबादी

बढ़ती हुई आबादी भी बहुत बड़ी समस्या है.तो जैसे जैसे आबादी बढ़ रही है. वैसे ही रिजर्वेशन जैसी चीजें का दायरा बढ़ रहा है सेलेक्ट लोगों को स्कॉलरशिप मिल रही है सरकार का सपोर्ट मिल रहा है बाकी लोगों को नहीं मिल रहा है

इन सब चीजों से कंपटीशन बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है.यहां पर तरक्की करना बहुत मुश्किल काम हो गया है. और इसीलिए यहां के लोग बाहर जाने की सोचते हैं.

no management

हमारे पास किसी भी तरह की संसाधनों की कमी नहीं है हमारे पास वह सभी चीजें हैं. जिससे हमारा देश एक विकसित देश बन सकता था लेकिन हमारे पास सिर्फ मैनेजमेंट की कमी है जिसके कारण हमारा देश अभी तक विकसित नहीं हो पाया है. और क्योंकि चाइना फ्रांस कोरिया जैसे देशों के पास मैनेजमेंट है

जिसके कारण वह बहुत जल्दी विकास कर रहे हैं. ये सभी देश दूसरे विश्व युद्ध में बिल्कुल तबाह हो चुके थे. लेकिन उसके बाद भी उन्होंने बहुत तेजी से विकास किया और हमारे देश में एक मैनेजमेंट ना होने के कारण हमारा देश आज तक विकसित नहीं हो पाया.

क्योंकि हमारे देश के लोग अगर एक बार बाहर चले जाते हैं. तो वह वहीं पर रहने लगते हैं. या वह एक दो बार ही आप आते हैं. फिर उसके बाद वही परमानेंट बस जाते हैं.

Judiciary Corporation crime

हमारे देश में क्राइम बहुत ज्यादा होते हैं. और जल्दी से लोगों को किसी भी तरह का कोई न्याय भी नहीं मिल पाता है अगर कोई इंसान किसी केस में फंस जाता है तो बिना किसी पैसे दिए बिल्कुल 100 प्रतिशत सही न्याय ले पाना बहुत ही मुश्किल है. और यहां की कोर्ट फैसला सुनाने में बहुत समय लगाती है 10:00 20 साल भी लग जाते हैं.

कई बार तो अपराधी मर भी जाता है. हमारे देश में सारा सिस्टम बिगड़ा हुआ है रिश्वत घूसखोरी यहां बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण हमारे देश का सारा सिस्टम बिगड़ चुका है इससे भी बहुत से लोग परेशान होते हैं. और जो अच्छे और पढ़े-लिखे लोग होते हैं. वह मौका मिलते ही विदेशों में जाकर रहने की सोचते हैं.

सामाजिक स्वतंत्रता

हमारे देश में लोगों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता भी नहीं है क्योंकि हमारे देश में कब शादी करनी है कब बच्चे पैदा करने हैं. कब जॉब करनी है यह सब घर वाले थोपते हैं. आपको किस तरह की जॉब करनी है किस लाइन में जाना है यह सभी मजबूरन आपके ऊपर थोपते दिया जाता है. लेकिन दूसरे देशों में यह सभी चीजें ऐसी नहीं होती है

आप अपनी मनपसंद की लाइफ जी सकते हैं. आप अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं. और आप किस लाइन में जाना चाहते हैं. वह आप अपनी मर्जी से चुन सकते हैं. इसके लिए भी बहुत से लोग ऐसे होते हैं. जो बाहर जाना चाहते हैं. तो अपनी जिंदगी खुलकर जीना चाहते हैं. और एक अच्छी जॉब करना चाहते हैं.

डिग्री

हमारे देश में डिग्री को ज्यादा मान्यता प्राप्त है चाहे डिग्री प्राप्त आदमी को कुछ भी नहीं आता हो लेकिन उसकी डिग्री के आधार पर उसको जॉब मिल सकती है. हमारे देश में टैलेंट नहीं देखा जाता है और हमारे देश में अगर आईआईटी में एडमिशन लेना चाहे तो इंटरेस्ट एग्जाम में कितने प्रतिशत नंबर आए हैं.

उनके आधार पर एडमिशन होता है और विदेशों में इस तरह का बिल्कुल भी सिस्टम नहीं है वहां पर आपके टैलेंट को देखा जाता है. दुनिया की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट एमआईटी में अगर आप 10वीं या 12वीं क्लास पास है और आपके अंदर कुछ इंजीनियरिंग स्किल्स है तो यदि आप वहां पर स्किल्स दिखा पाते हैं.

तो आप आसानी से एडमिशन ले सकते हैं. वहां पर आपकी डिग्री को नहीं देखा जाता है इसीलिए विदेशों में बहुत ही छोटी उम्र के लोग इंजीनियरिंग होते है. हमारे देश में ऐसा बिल्कुल नहीं है इसीलिए हमारे देश के लोग विदेशों में जाकर पढ़ाई करना बहुत ज्यादा बेहतर समझते हैं. क्योंकि हमारे देश में अगर डिग्री नहीं है तो आपको कोई पढ़ा-लिखा नहीं मानेगा चाहे आपके अंदर कितना भी टैलेंट हो.

जीवन स्तर

हमारे देश में रहन-सहन भी अच्छा नहीं है क्योंकि हमारे देश के अंदर साफ-सफाई इतनी ज्यादा नहीं है हमारे देश में बहुत गरीब लोग रहते हैं. एक ही मकान में आपको 10-10 लोगों का परिवार मिल जाएगा. और विदेशों में अगर देखा जाए तो वहां पर बिल्कुल साफ सफाई मिलेगी आपको वहां पर रहने का अच्छा तरीका मिलेगा

तो इसलिए हमारे यहां के लोग एक बार जब बाहर जाते हैं. तो वापस आने की नहीं सोचते उनको वहां पर अच्छा रहने का और खाने पीने का और पढ़ने लिखने का सिस्टम मिलता है इसलिए बाहर ही रहना पसंद करते हैं. और हमारे देश के लगभग 85% डॉक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक बाहर इसलिए चले जाते हैं.

क्योंकि उनके टैलेंट को यहां पर देखा नहीं जाता है. और वहां पर उनके टैलेंट को देख लिया जाता है और उन्हें अच्छी सी अच्छी कंपनी में काम मिलता है तो यही कारण है कि हमारे देश के लोग बाहर रहना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं.

आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी बताई है तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आए तो लाइक और शेयर जरूर करें और यदि आप इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

5 Comments

  1. यदि कोई मेधावी छात्र ईश्वर से फार्मेसी में एडमिशन कराया है फिर एडमिशन कैंसिल करा कर नीट की तैयारी करना चाहता है तो उसे मेधावी छात्र का लाभ मिलेगा फिर

  2. बेकार का ज्ञान है आप सिर्फ आरक्षण का विरोध करने का प्रयाश कर रहे है । विदेश मे रहना और वहां का खर्च वहन करना आम आदमी की बस की बात नही है । जिन लोगो के पास पैसे की कोई कमी नही है जो लोग हमेशा सुख सुविधाओ में पले बढ़े होते है उनको अपने देश की कोई परवाह नही होती वे हमेशा सुख भोगी होते है और विदशो में सुख सुविधाओं की कोई कमी नही होती इसलिए वे विदेश में रहना पसंद करते है । जहाँ तक नंबर्स की बात है तो क्या सभी को एक जैसी सिक्छा मिल पाती है क्या सभी एक समान कठिनाइयों से लड़कर सिक्छा प्राप्त करते है । क्या जो लोग सदियों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे है उनको इतना भी अवसर नही मिलना चाहिए कि वे खुद को समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके ? असली टैटेंट तो आरक्छन वालो के पास है क्योंकि कम साधनों में कैसे मैनेजमेंट करना है वह इन लोगों को पता है । ये लोग किसान है ये लोग जवान है ये लोग मजदूर इसलिए सर्वप्रथम इनके विकास का मार्ग तय होना चाहिए । आप कहते है सवर्णों को आरक्छन के कारण काम नही मिलता तो मै आप को बताना चाहता हु की मनरेगा में कोई आरक्षण नही है लेकिन कितने सवर्ण भाई काम पे जाते है एक भी नही मतलब वे गरीब ही नही है जो गरीब है वे पहले रोटी की चिन्ता करते उसके बाद किसी और चीज की ।

  3. बेकार का ज्ञान है आप सिर्फ आरक्षण का विरोध करने का प्रयाश कर रहे है । विदेश मे रहना और वहां का खर्च वहन करना आम आदमी की बस की बात नही है । जिन लोगो के पास पैसे की कोई कमी नही है जो लोग हमेशा सुख सुविधाओ में पले बढ़े होते है उनको अपने देश की कोई परवाह नही होती वे हमेशा सुख भोगी होते है और विदशो में सुख सुविधाओं की कोई कमी नही होती इसलिए वे विदेश में रहना पसंद करते है । जहाँ तक नंबर्स की बात है तो क्या सभी को एक जैसी सिक्छा मिल पाती है क्या सभी एक समान कठिनाइयों से लड़कर सिक्छा प्राप्त करते है । क्या जो लोग सदियों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे है उनको इतना भी अवसर नही मिलना चाहिए कि वे खुद को समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके ? असली टैटेंट तो आरक्छन वालो के पास है क्योंकि कम साधनों में कैसे मैनेजमेंट करना है वह इन लोगों को पता है । ये लोग किसान है ये लोग जवान है ये लोग मजदूर इसलिए सर्वप्रथम इनके विकास का मार्ग तय होना चाहिए । आप कहते है सवर्णों को आरक्छन के कारण काम नही मिलता तो मै आप को बताना चाहता हु की मनरेगा में कोई आरक्षण नही है लेकिन कितने सवर्ण भाई काम पे जाते है एक भी नही मतलब वे गरीब ही नही है जो गरीब है वे पहले रोटी की चिन्ता करते उसके बाद किसी और चीज की ।

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